"नरसिंह": अवतरणों में अंतर
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(हे क्रुद्ध एवं शूर-वीर महाविष्णु, तुम्हारी ज्वाला एवं ताप चतुर्दिक फैली हुई है। हे नरसिंहदेव, तुम्हारा चेहरा सर्वव्यापी है, तुम मृत्यु के भी यम हो और मैं तुम्हारे समक्षा आत्मसमर्पण करता हूँ।)
श्री नृसिंह भगवान की आरती
ॐ जय नृसिंह हरे, स्वामी जय नृसिंह हरे। भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ॐ॥
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मनका। सुख सम्पति घर आवै, कष्ट मिटे तनका॥ॐ॥
मात पिता तुम मेरे, शरण रहूँ मैं किसकी। तुम बिना और न दूजा, आस करूँ मैं जिसकी॥ॐ॥
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अर्न्तयामी। पार ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ॐ॥
तुम करूणा के सागर, तुम पालन कर्ता। मैं मूर्ख खलकामी, कृपा करो भर्ता ॥ॐ॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ॐ॥
दीन बन्धु दुख हर्ता, तुम ठाकुर मेरे। करूणा हाथ बढ़ाओ, द्वार खड़ा तेरे॥ॐ॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ॥ॐ॥
ॐ जय नृसिंह हरे, स्वामी जय नृसिंह हरे॥</blockquote>
=== श्री नृसिंह स्तवः ===
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