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अमृतमपत्रिका द्वरा प्रकाशित इस लेख में वर्ष ई ईस्वी सन २०२१-२२ सम्वत २०७८ के भविष्य एवं 2021 में होने वाली घटनाओं-दुर्घटनाओं के बारे में बताया जा रहा है।
इसमें सत्य-असत्य दोनों सम्भव हैं।
दुर्लभ-रहस्यमयी जानकारियों से भर यह लेख कुछ बड़ा हो सकता है, आराम से पढ़ें, आननद की अनुभूति होगी और आपकी सुरक्षा भी
 
थोड़ा ज्योतिष के बारे में भी जाने-
कहते हैं- आशा से आसमान टिका है।
ज्योतिष भी भरोसे का ही नाम है। इस पर संसार का हरेक व्यक्ति विश्वास करता है और पूर्ण भरोसा रखने वालों ने अपार सफलताएं भी पाई है। ज्योतिष के द्वारा हम अपने उर्जाविहीन ग्रह-नक्षत्रों को सकारात्मक ऊर्जा देकर दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकते हैं बशर्ते सही मार्गदर्शन मिल जाये।
ऐसा मेरे साथ भी हुआ है, तभी तो सन 1975 में मात्र 30 रुपये की नोकरी करते हुए आज अमृतम जैसा ब्रांड बनने में ज्योतिषीय गणित की बहुत सहायता मिली।
 
फलित ज्योतिष उस विद्या को कहते हैं जिसमें मनुष्य तथा पृथ्वी पर, ग्रहों और तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ज्योतिष शब्द का यौगिक अर्थ ग्रह - नक्षत्रों, काल, तिथि, वार से संबंध रखनेवाली विद्या है।
 
जन्मपत्रिका में जातक के भाग्य-दुर्भाग्य, पितृदोष, कार्यक्षेत्र, भरण-पोषण, रोग, जीवन-मृत्यु, लाभ-हानि के निर्णय हेतु चंद्रमा के नक्षत्र का विशेष उपयोग किया जाता है। चन्द्रमा एक नक्षत्र में लगभग 23 से 27 घण्टे तक रहता है यह सवा दो दिन में अपनी राशि बदलता है।
भारत में बारह राशियों के २७ विभाग किए गए हैं, जिन्हें सत्ताईस नक्षत्र कहते हैं। ये हैं अश्विनी, भरणी, कृतिका आदि कहे जाते हैं। जातक का जिस नक्षत्र में जन्म होता है, उसी अनुसार महादशा की गणना की जाती है।
 
प्राचीन भारत में ज्‍योतिष का अर्थ ग्रहों और नक्षत्रों द्वारा ब्रह्माण्‍ड का भविष्य जाना जाता था अब फलित ज्योतिष बहुत बड़ा व्यवसाय बन चुका है, इसमें धन समावेश के चलते ज्‍योतिष शब्‍द के मायने बदल गए और अब इसे लोगों का भाग्‍य देखने वाली विद्या समझा जाता है।
स्कंध पुराण आदि पुराने ग्रंथों में स्पष्ट लिखा है कि यह आर्थिक लाभ उठाने की नहीं, मदद करने की विद्या है।
ज्‍योतिष विज्ञान आदिकालीन वेद का अंग है। प्राचीन काल में हमारे ऋषि-महर्षियों को वैज्ञानिकों जैसी मान्यता प्राप्त थी।
इन्होंने ग्रह, नक्षत्र और अन्‍य खगोलीय पिण्‍डों का अध्‍ययन करने के विषय को ही ज्‍योतिष बताया ज्योतिष के गणित सूत्रों की वेदों में स्‍पष्‍ट गणनाएं दी हुई हैं।
भारतीय ज्योतिष प्रणाली परम्परा में वार, तिथि प्रवृति सूर्योदय से ही लागू होती है, जबकि अंग्रेजी दिनांक अर्धरात्रि १२.०० यानि रात को बढ़ बजे ही बदल जाती है। इसे समझना इसलिए जरूरी है कि कुछ धर्मांध भक्त कभी व्रत-उपवास रखकर रात्रि में 12 बजे के बाद भोजन कर लेते हैं। यह अनुचित है। अनेक लोग शिवरात्रि का व्रत रखते हैं और दिन में खाकर रात में सो जाते है, जबकि यह व्रत ही रात्रि का है ऐसे बहुत सी भ्रांतियां हैं, जो समय-समय पर अमृतमपत्रिका में दी जाती हैं।
 
 
भारतीय आचार्यों द्वारा हस्तरचित ज्योतिष पाण्डुलिपियों की संख्या एक लाख से भी अधिक है। उनमें भृगु सहिंता, रावण सहिंता, सप्तनाड़ी सहिंता, महर्षि अगस्त्य ज्योतिष नाड़ी सहिंता, पराशर सहिंता, कौशिक सहिंता, सामुद्रिक शास्त्र आदि प्रमुख हैं।
 
 
 
चैत्र मास के प्रथम दिवस यानी पड़वा तिथि को ज्योतिष के अनुसार हर साल नया मन्त्रिमण्डल बनता है। कालचक्र के अनुसार इनमें नवग्रहों में से ही राजा, मंत्री आदि शपथ लेते है। ग्रहों के राजा-मंत्री बनने के बाद संसार का भविष्य, सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य, प्राकृतिक आपदाएं, ग्रहण, सत्ता परिवर्तन का निर्धारण होता है।
जाने 2021 के राजा मंत्री कौन से ग्रह हैं-
 
 
 
 
 
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'''ज्‍योतिष''' या '''ज्यौतिष''' विषय [[वेद|वेदों]] जितना ही प्राचीन है। प्राचीन काल में [[ग्रह]], [[नक्षत्रों|नक्षत्र]] और अन्‍य खगोलीय पिण्‍डों का अध्‍ययन करने के विषय को ही ज्‍योतिष कहा गया था। इसके [[गणित]] भाग के बारे में तो बहुत स्‍पष्‍टता से कहा जा सकता है कि इसके बारे में वेदों में स्‍पष्‍ट गणनाएं दी हुई हैं। फलित भाग के बारे में बहुत बाद में जानकारी मिलती है।