"मन्दाकिनी": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:NGC 4414 (NASA-med).jpg|right|300px|thumb|जहाँ तक ज्ञात है, गैलेक्सी ब्रह्माण्ड की सब से बड़ी [[खगोलीय वस्तु]]एँ होती हैं। एनजीसी ४४१४ एक ५५,००० प्रकाश-वर्ष व्यास की गैलेक्सी है]]
'''मन्दाकिनी''' या '''आकाशगंगा''' या गैलेक्सी, असंख्य [[तारा|तारों]] का समूह है जो स्वच्छ और अँधेरी रात में, [[आकाश]] के बीच से जाते हुए अर्धचक्र के रूप में और झिलमिलाती सी मेखला के समान दिखाई पड़ता है। यह मेखला वस्तुत: एक पूर्ण चक्र का अंग हैं जिसका क्षितिज के नीचे का भाग नहीं दिखाई पड़ता। [[भारत]] में इसे मंदाकिनी, स्वर्णगंगा, स्वर्नदी, सुरनदी, आकाशनदी, देवनदी, नागवीथी, हरिताली आदि भी कहते हैं।
हमारी [[पृथ्वी]] और [[सूर्य]] जिस गैलेक्सी में अवस्थित हैं, रात्रि में हम नंगी आँख से उसी गैलेक्सी के ताराओं को देख पाते हैं। अब तक ब्रह्मांड के जितने भाग का पता चला है उसमें लगभग ऐसी ही १९ अरब गैलेक्सीएँ होने का अनुमान है। ब्रह्मांड के विस्फोट सिद्धांत (बिग बंग थ्योरी ऑफ युनिवर्स) के अनुसार सभी गैलेक्सीएँ एक दूसरे से बड़ी तेजी से दूर हटती जा रही हैं।
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