"रानी लक्ष्मीबाई": अवतरणों में अंतर

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|caption = फ़र्रूख़ाबाद के नवाब के महल में रानी लक्ष्मीबाई का कलात्मक चित्रण
|birth_name = मणिकर्णिका तांबे
|birth_date = {{Birth date|18281835|11|19|df=yes}}<!-- Please do not add birth year 1835 as historians no longer accept it as correct; see cited sources and discussion on Talk page -->
|birth_place = [[वाराणसी]], भारत
|death_date = 17-18th जून 1858 (उम्र 29)
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|Allegiance =[[मराठा साम्राज्य]], [[मुग़ल साम्राज्य]]
}}
'''रानी लक्ष्मीबाई''' ([[जन्म]]: 19 नवम्बर 18281835<ref name="Jhansi Ki Rani- Lakshmibai Biography">[http://www.liveindia.com/freedomfighters/jhansi_ki_rani_laxmi_bai.html Jhansi Ki Rani Lakshmibai Biography] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20130921224321/http://www.liveindia.com/freedomfighters/jhansi_ki_rani_laxmi_bai.html |date=21 सितंबर 2013 }} के अनुसार रानी लक्ष्मीबाई की जन्मतिथि 19 नवम्बर 1835
है</ref> – [[मृत्यु]]: 18 जून 1858) [[मराठा]] शासित [[झाँसी]] राज्य की रानी और [[१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|1857 की राज्यक्रांति]] की द्वितीय शहीद वीरांगना (प्रथम शहीद वीरांगना रानी अवन्ति बाई लोधी 20 मार्च 1858 हैं) थीं। उन्होंने सिर्फ़ 29 साल की उम्र में [[ब्रिटिश साम्राज्य|अंग्रेज़ साम्राज्य]] की सेना से युद्ध किया और रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुईं। बताया जाता है कि सिर पर तलवार के वार से शहीद हुई थी लक्ष्मीबाई की।<ref name=":0">{{Cite news|url=https://www.bbc.com/hindi/india-40327380|title=सिर पर तलवार के वार से शहीद गई थीं रानी लक्ष्मीबाई|last=फ़ज़ल|first=रेहान|date=2019-01-25|work=BBC News हिंदी|access-date=2020-06-17|language=hi|archive-url=https://web.archive.org/web/20180127124011/http://www.bbc.com/hindi/india-40327380|archive-date=27 जनवरी 2018|url-status=live}}</ref>
 
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[[चित्र:Ranilaxmibai-1.JPG|200px|left|thumb|रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा]]
 
लक्ष्मीबाई का जन्म [[वाराणसी]] में 19 नवम्बर 18281835 को हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था। उनकी माँ का नाम भागीरथीबाई और पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। मोरोपंत एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में थे। माता भागीरथीबाई एक सुसंस्कृत, बुद्धिमान और धर्मनिष्ठ स्वभाव की थी तब उनकी माँ की मृत्यु हो गयी। क्योंकि घर में मनु की देखभाल के लिये कोई नहीं था इसलिए पिता मनु को अपने साथ पेशवा [[बाजीराव द्वितीय]] के दरबार में ले जाने लगे। जहाँ चंचल और सुन्दर मनु को सब लोग उसे प्यार से "छबीली" कहकर बुलाने लगे। मनु ने बचपन में शास्त्रों की शिक्षा के साथ शस्त्र की शिक्षा भी ली।<ref>{{cite web|url= http://tdil.mit.gov.in/coilnet/ignca/kbhu_v06.htm|title=काशी की विभूतियाँ|archive-date=4 अक्टूबर 2009|format= एचटीएम|publisher=टीडिल|language=|archive-url=https://web.archive.org/web/20091004114117/http://tdil.mit.gov.in/coilnet/ignca/kbhu_v06.htm}}</ref> सन् 1842 में उनका विवाह झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ और वे झाँसी की रानी बनीं। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। सितंबरसन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया। परन्तु चार महीने की उम्र में ही उसकी मृत्यु हो गयी। सन् 1853 में राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी गयी। पुत्र गोद लेने के बाद [[२१ नवम्बर|21 नवम्बर]] [[१८५३|1853]] को राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी। दत्तक पुत्र का नाम दामोदर राव रखा गया।<ref name=":0" />
 
[[ब्रिटिश राज|ब्रितानी राज]] ने अपनी [[व्यपगत का सिद्धान्त|राज्य हड़प नीति]] के तहत बालक दामोदर राव के ख़िलाफ़ अदालत में मुक़दमा दायर कर दिया। हालांकि मुक़दमे में बहुत बहस हुई, परन्तु इसे ख़ारिज कर दिया गया। ब्रितानी अधिकारियों ने राज्य का ख़ज़ाना ज़ब्त कर लिया और उनके पति के कर्ज़ को रानी के सालाना ख़र्च में से काटने का फ़रमान जारी कर दिया। इसके परिणाम स्वरूप रानी को झाँसी का क़िला छोड़कर झाँसी के रानीमहल में जाना पड़ा। पर रानी लक्ष्मीबाई ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होनें हर हाल में झाँसी राज्य की रक्षा करने का निश्चय किया।<ref>{{Cite web|url=https://satyagrah.scroll.in/article/107570/rani-laxmi-bai-rani-of-jhanshi-life-history|title=रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं|last=भारद्वाज|first=पुलकित|website=Satyagrah|language=hi-IN|access-date=2020-06-22|archive-url=https://web.archive.org/web/20200515092842/https://satyagrah.scroll.in/article/107570/rani-laxmi-bai-rani-of-jhanshi-life-history|archive-date=15 मई 2020|url-status=dead}}</ref>