"रानी लक्ष्मीबाई": अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Content deleted Content added
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
छो 2401:4900:36A3:2DDC:9CF6:98C8:EEF3:9CD0 (Talk) के संपादनों को हटाकर WikiPanti के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन |
||
पंक्ति 5:
|caption = फ़र्रूख़ाबाद के नवाब के महल में रानी लक्ष्मीबाई का कलात्मक चित्रण
|birth_name = मणिकर्णिका तांबे
|birth_date = {{Birth date|
|birth_place = [[वाराणसी]], भारत
|death_date = 17-18th जून 1858 (उम्र 29)
पंक्ति 19:
|Allegiance =[[मराठा साम्राज्य]], [[मुग़ल साम्राज्य]]
}}
'''रानी लक्ष्मीबाई''' ([[जन्म]]: 19 नवम्बर
है</ref> – [[मृत्यु]]: 18 जून 1858) [[मराठा]] शासित [[झाँसी]] राज्य की रानी और [[१८५७ का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|1857 की राज्यक्रांति]] की द्वितीय शहीद वीरांगना (प्रथम शहीद वीरांगना रानी अवन्ति बाई लोधी 20 मार्च 1858 हैं) थीं। उन्होंने सिर्फ़ 29 साल की उम्र में [[ब्रिटिश साम्राज्य|अंग्रेज़ साम्राज्य]] की सेना से युद्ध किया और रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुईं। बताया जाता है कि सिर पर तलवार के वार से शहीद हुई थी लक्ष्मीबाई की।<ref name=":0">{{Cite news|url=https://www.bbc.com/hindi/india-40327380|title=सिर पर तलवार के वार से शहीद गई थीं रानी लक्ष्मीबाई|last=फ़ज़ल|first=रेहान|date=2019-01-25|work=BBC News हिंदी|access-date=2020-06-17|language=hi|archive-url=https://web.archive.org/web/20180127124011/http://www.bbc.com/hindi/india-40327380|archive-date=27 जनवरी 2018|url-status=live}}</ref>
पंक्ति 25:
[[चित्र:Ranilaxmibai-1.JPG|200px|left|thumb|रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा]]
लक्ष्मीबाई का जन्म [[वाराणसी]] में 19 नवम्बर
[[ब्रिटिश राज|ब्रितानी राज]] ने अपनी [[व्यपगत का सिद्धान्त|राज्य हड़प नीति]] के तहत बालक दामोदर राव के ख़िलाफ़ अदालत में मुक़दमा दायर कर दिया। हालांकि मुक़दमे में बहुत बहस हुई, परन्तु इसे ख़ारिज कर दिया गया। ब्रितानी अधिकारियों ने राज्य का ख़ज़ाना ज़ब्त कर लिया और उनके पति के कर्ज़ को रानी के सालाना ख़र्च में से काटने का फ़रमान जारी कर दिया। इसके परिणाम स्वरूप रानी को झाँसी का क़िला छोड़कर झाँसी के रानीमहल में जाना पड़ा। पर रानी लक्ष्मीबाई ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होनें हर हाल में झाँसी राज्य की रक्षा करने का निश्चय किया।<ref>{{Cite web|url=https://satyagrah.scroll.in/article/107570/rani-laxmi-bai-rani-of-jhanshi-life-history|title=रानी लक्ष्मीबाई : झांसी की वह तलवार जिसके अंग्रेज भी उतने ही मुरीद थे जितने हम हैं|last=भारद्वाज|first=पुलकित|website=Satyagrah|language=hi-IN|access-date=2020-06-22|archive-url=https://web.archive.org/web/20200515092842/https://satyagrah.scroll.in/article/107570/rani-laxmi-bai-rani-of-jhanshi-life-history|archive-date=15 मई 2020|url-status=dead}}</ref>
|