"अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह": अवतरणों में अंतर

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द्वीपसमूह की राजधानी [[पोर्ट ब्लेयर]] एक अंडमानी शहर है।2011 की भारत की जनगणना के अनुसार यहाँ की जनसंख्या '''379,944''' है।जिसमें 202,330 (53.25%) पुरुष तथा 177,614 (46.75%) महिला है। लिेगानुपात प्रति 1,000 पुरूषोंं में में 878 महिला है।केवल 10% आबादी हीं निकोबार द्वीप में रहती है।<ref>{{cite web|title=Census of India|url=http://www.censusindia.gov.in/2011-prov-results/data_files/ani/ani_press_release.pdf|accessdate=13 April 2012|archive-url=https://web.archive.org/web/20111113163050/http://www.censusindia.gov.in/2011-prov-results/data_files/ani/ani_press_release.pdf|archive-date=13 November 2011|url-status=live}}</ref>पूरे क्षेत्र का कुल भूमि क्षेत्र लगभग 8249 किमी² या 2508 वर्ग मील है।
== अन्य भारतीय भाषाओं में नाम ==
=
* [[बाङ्ला भाषा|बांग्ला]]:আন্দামান ও নিকোবর দ্বীপপুঞ্জ,
* [[तमिल भाषा|तमिल]]: அந்தமான் நிக்கோபார் தீவுகள்,
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== इतिहास ==
[[चित्र:Andaman.jpg|right|thumb|250px|अंडमान तट]] इस पर अंग्रेजों का शासन हो गया और बाद में दूसरे [[विश्वयुद्ध]] के दौरान [[जापान]] द्वारा इस पर अधिकार कर लिया गया। कुछ समय के लिये यह द्वीप [[सुभाष चन्द्र बोस|नेताजी सुभाषचंद्र बोस]] की [[आज़ाद हिन्द फ़ौज|आज़ाद हिन्द फौज]] के अधीन भी रहा था। बहुत कम लोगों को ही पता होगा कि देश में कहीं भी पहली बार पोर्ट ब्लेयर में ही तिरंगा फहराया गया था। यहां नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने 30 दिसम्बर 1943 को यूनियन जैक उतार कर तिरंगा झंडा फहराया था। इसलिय अंडमान निकोबार प्रशासन की तरफ से 30 दिसम्बर को हर साल एक भव्य कार्यक्रम मनाने की शुरूआत की गई है। जनरल लोकनाथन भी यहाँ के गवर्नर रहे थे। १९४७ में ब्रिटिश सरकार से मुक्ति के बाद यह भारत का केन्द्र शासित प्रदेश बना।
[[चित्र:Great Andamanese couple.jpg|200px|left|thumb|अंडमानी युगल]]
ब्रिटिश शासन द्वारा इस स्थान का उपयोग स्वाधीनता आंदोलन में दमनकारी नीतियों के तहत क्रांतिकारियों को भारत से अलग रखने के लिये किया जाता था। इसी कारण यह स्थान आंदोलनकारियों के बीच [[सेल्यूलर जेल|काला पानी]] के नाम से कुख्यात था। कैद के लिये [[पोर्ट ब्लेयर]] में एक अलग कारागार, [[सेल्यूलर जेल]] का निर्माण किया गया था जो ब्रिटिश इंडिया के लिये [[साइबेरिया]] की समान था।