"सेंगर": अवतरणों में अंतर
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सेंगरों का राज्य कनार में भी था। जिला जालौन के राजा विशोक देव ने अपने राज्य में से बहने वाली बसेड़ नदी का नाम बदल कर सेंगर नदी रखा। यह नदी आज भी मैनपुरी, इटावा और कानपूर जिलों से होकर आज भी बह रही है।
इन्होंने अपनी रानी के नाम पर यहीं देवकली नगर बसाया। विशोक देव के बीसवें वंशधर जगम्मन शाह ने बाबर का सामना किया था। कनार नष्ट होने के बाद जगम्मन शाह ने उसके पास ही
(जिला जालौन) बसाकर वहां अपनी नयी राजधानी नी बनायीं। आज भी इस वंश के क्षत्रिय कनार और जगम्मनपुर के आस-पास 57 गांवों में बस्ते हैं। ये लोग अभी भी कनारधनि कहलाते हैं। इसी वंश के रेलीचंद्रदेव ने भेरह में अपनी अलग राजधानी स्थापित की। यहाँ के दसवें राजा भगवंत देव ने नीलकंठ भट्ट से "भगवंत भास्कर" ग्रंथबकि रचना करायी थी। इस ग्रन्थ में बारह मयूख (अध्याय) हैं। इसके छठे मयूख 'व्यवहार मयूख' को गुजरात, महाराष्ट्र एवं अन्य कई रियासतों तथा अन्य कई मयुखों को भारत सरकार की प्रिवी कॉउंसिल तक ने हिन्दू लॉ का मुख्य ग्रन्थ माना है। इस वंश के लिए यह बड़े गौरव की बात है।
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