"प्याज़े का संज्ञानात्मक विकास सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर

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इसकी अवस्था 7-11 वर्ष होती है
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इसमें क्रमबद्ध तर्क नही होता है।
 
=== मूर्त संक्रियात्मक अवस्था ===7-11वर्ष
इस अवस्था में बालक विद्यालय जाना प्रांरभ कर लेता है एवं वस्तुओं एव घटनाओं के बीच समानता, भिन्नता समझने की क्षमता उत्पन हो जाती है इस अवस्था में बालकों में संख्या बोध, वर्गीकरण, क्रमानुसार व्यवस्था किसी भी वस्तु ,व्यक्ति के मध्य पारस्परिक संबंध का ज्ञान हो जाता है। वह तर्क कर सकता है। संक्षेप में वह अपने चारों ओर के पर्यावरण के साथ अनुकूल करने के लिये अनेक नियम को सीख लेता है|