"वसन्त पञ्चमी": अवतरणों में अंतर

97 बाइट्स जोड़े गए ,  3 वर्ष पहले
सम्पादन सारांश नहीं है
छो 27.60.66.160 (Talk) के संपादनों को हटाकर Ujjjval के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
No edit summary
पंक्ति 2:
{{Infobox holiday
|holiday_name = वसन्त पंचमी
|type = hinduहिन्दू
|image = Raja Ravi Varma, Goddess Saraswati.jpg
|caption = [[देवी]] [[सरस्वती]] ([[राजा रवि वर्मा]] द्वारा चित्रित)
|official_name = वसन्त पंचमी
|nickname = श्रीपंचमी<br />सरस्वती पूजा
पंक्ति 18:
|celebrations =
|observances = [[पूजा]] व सामाजिक कार्यक्रम
|relatedto =[[आम]] का पत्ता
}}
 
'''वसंत पञ्चमी''' या '''श्रीपंचमी''' एक [[हिन्दू]] का त्योहार है। इस दिन [[विद्या]] की [[देवी]] [[सरस्वती]] की [[पूजा]] की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर [[बांग्लादेश]], [[नेपाल]] और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन [[पीला|पीले]] वस्त्र धारण करते हैं। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है।

प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह मौसमों में बाँटा जाता था उनमें [[वसंत]] लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था। जब फूलों पर बहार आ जाती, खेतों में [[सरसों]] का फूल मानो सोना चमकने लगता, [[जौ]] और [[गेहूँ]] की बालियाँ खिलने लगतीं, [[आम|आमों]] के पेड़ों पर मांजर (बौर) आ जाता और हर तरफ़तरफ रंग-बिरंगी [[तितली|तितलियाँ]] मँडराने लगतीं। भर-भर भंवरे भंवराने लगते। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए [[माघ]] महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें [[विष्णु]] और [[कामदेव]] की पूजा होती हैं। यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है।
 
== वसन्त पंचमी कथा ==
Line 49 ⟶ 51:
वसंत पंचमी का दिन हमें [[पृथ्वीराज चौहान]] की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी हमलावर [[मोहम्मद ग़ोरी]] को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो [[मोहम्मद ग़ोरी]] ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ [[अफगानिस्तान]] ले गया और उनकी आंखें फोड़ दीं। इसके बाद की घटना तो जगप्रसिद्ध ही है। [[मोहम्मद ग़ोरी]] ने मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई के परामर्श पर ग़ोरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया।<ref>{{Cite web|url=https://www.prabhasakshi.com/currentaffairs/vasant-panchmi-related-story|title=वसंत पंचमी पर्व का धार्मिक ही नहीं बड़ा ऐतिहासिक महत्व भी है|website=Prabhasakshi|language=hi|access-date=2021-02-14}}</ref>
 
:'''चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।'''
:'''ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥'''
 
पृथ्वीराज चौहान ने इस बार भूल नहीं की। उन्होंने तवे पर हुई चोट और [[चंदबरदाई]] के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा, वह [[मोहम्मद ग़ोरी]] के सीने में जा धंसा। इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा भौंककर आत्मबलिदान दे दिया। (1192 ई) यह घटना भी वसंत पंचमी वाले दिन ही हुई थी।