"रक्त": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Blutkreislauf.png|thumb | right| [[होमो सेपियन्स|मानव]] शरीर में लहू का संचरण<br /> [[लाल]] - शुद्ध लहू <br /> [[नीला]] - अशु्द्ध लहू]]
'''लहू''' या '''रुधिर''' या '''खून''' एक शारीरिक [[तरल]] ([[द्रव]]) है जो लहू वाहिनियों के अन्दर विभिन्न अंगों में लगातार बहता रहता है। रक्त वाहिनियों में प्रवाहित होने वाला यह गाढ़ा, कुछ चिपचिपा, लाल रंग का द्रव्य, एक जीवित [[ऊतक]] है। यह प्लाज़मा और रक्त कणों से मिल कर बनता है। प्लाज़मा वह निर्जीव तरल माध्यम है जिसमें रक्त कण तैरते रहते हैं। प्लाज़मा के सहारे ही ये कण सारे शरीर में पहुंच पाते हैं और वह प्लाज़मा ही है जो आंतों से शोषित पोषक तत्वों को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुंचाता है और पाचन क्रिया के बाद बने हानिकारक पदार्थों को उत्सर्जी अंगो तक ले जा कर उन्हें फिर साफ़ होने का मौका देता है। रक्तकण तीन प्रकार के होते हैं, [[लाल रक्त कोशिका|लाल रक्त कणिका]],
मनुष्य-शरीर में करीब पाँच लिटर लहू विद्यमान रहता है। लाल रक्त कणिका की आयु कुछ दिनों से लेकर १२० दिनों तक की होती है। इसके बाद इसकी [[कोशिका]]एं [[तिल्ली]] में टूटती रहती हैं। परन्तु इसके साथ-साथ [[अस्थि मज्जा]] (बोन मैरो) में इसका उत्पादन भी होता रहता है। यह बनने और टूटने की क्रिया एक निश्चित अनुपात में होती रहती है, जिससे [[शरीर]] में खून की कमी नहीं हो पाती।
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