"माधव निदान": अवतरणों में अंतर

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[[File:Ayurvedic Medicine Wellcome V0045681.jpg|300px|thumb|right|Ayurvedic Medicine Wellcome V0045681]]
 
'''माधवनिदानम्''' [[आयुर्वेद]] का प्रसिद्ध प्राचीन ग्रन्थ है। इसका मूल नाम 'रोगविनिश्चय' है। यह [[माधवकर]] द्वारा प्रणीत है जो आचार्य इन्दुकर के पुत्र थे और ७वीं शताब्दी में पैदा हुए थे।
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== संरचना ==
हेतु-लिंग-औषध रूपी आयुर्वेद के त्रिस्कन्ध के अन्तर्गत प्रथम दो स्कन्धों - हेतु एवं लिंग का विवेचन ही माधवनिदानम् में किया गया है। संपूर्ण ग्रंथ दो भागों में विभाजित है-
*(१) माधवनिदान प्रथम
*(२) माधवनिदान द्वितीय।
(२) माधवनिदान द्वितीय। दोनों भागों में ६९ अध्याय हैं। माधवनिदान के प्रथम अध्याय में '''[[पञ्चनिदान]] (निदान, पूर्वरूप, रूप, उपशय और सम्प्राप्ति)''' का सामान्य वर्णन करने के पश्चात् द्वितीय अध्याय से उनसठवें (६९) अध्यायों तक [[ज्वर]] आदि तत्कालीन प्रचलित सभी रोगों के निदान का वर्णन किया गया है तथा ग्रन्थ के अन्त में विषयानुक्रमणिका देकर ग्रन्थ को इतिश्री प्रदान की गई है।
 
== टीकाएँ==