"व्याकरण": अवतरणों में अंतर

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व्याकरण का दूसरा नाम "शब्दानुशासन" भी है। वह शब्दसंबंधी अनुशासन करता है , बतलाता है कि किसी शब्द का किस तरह प्रयोग करना चाहिए। भाषा में शब्दों की प्रवृत्ति अपनी ही रहती है, व्याकरण के कहने से भाषा में शब्द नहीं चलते। किन्तु भाषा की प्रवृत्ति के अनुसार व्याकरण शब्दप्रयोग का निर्देश करता है। यह भाषा पर शासन नहीं करता, उसकी स्थितिप्रवृत्ति के अनुसार लोकशिक्षण करता है। व्याकरण के नियमो के ज्ञाता को वैयाकरण कहते है।
 
व्याकरण के भेद
 
(1) वर्ण-विचार
 
(2) शब्द-विचार
 
(3) पद-विचार
 
(4) वाक्य-विचार
 
व्याकरण के भेद बहुत महत्व पूर्ण है इसे हम समझते है।
 
वाक्य-विचार
 
वाक्य की परिभाषा :- जब हम कई सारे शब्द को मिलाकर एक सार्थक अर्थ प्रदान करते है तो उसे वाक्य कहा जाता है।
 
याद रखे वाक्य को भाषा की सबसे बड़ी इकाई कहा जाता है।
 
जैसे की:- राजेश खाना खा रहा है।
 
यहाँ ऊपर पांच(5) शब्द और वर्ण को मिलके एक सार्थक अर्थ वाला वाक्य बना है इसे वाक्य कहते है।
 
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* [http://www.pustak.org/bs/home.php?bookid=4883&booktype=free व्याकरण बोध तथा रचना] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20081222043935/http://www.pustak.org/bs/home.php?bookid=4883&booktype=free |date=22 दिसंबर 2008 }} - अन्तरजाल पर हिन्दी-व्याकरण की मुफ्त पुस्तक
* [http://www.gurukul-wa.org/class4b/Shared%20Documents/Hindi_Vyakaran.pdf हिन्दी व्याकरण]{{Dead link|date=दिसंबर 2020 |bot=InternetArchiveBot }} (पीडीएफ्)