"रामानन्द": अवतरणों में अंतर

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==रामानन्दी द्वारे==
रामानन्दी सम्प्रदाय द्वारा स्थापित [[रामानंदी संप्रदाय|रामानंदी‌ सम्प्रदाय]] या '''रामावत संप्रदाय''' आज वैष्णव संन्यासी/ साधुओं का सबसे बड़ा धार्मिक जमात है। वैष्णवों के 52 द्वारों में 36 द्वारे केवल रामानंदिय सन्यासियों/वैरागियों के हैं। यह सभी द्वारे ब्राह्मण कुल के शिष्यों ने स्थापित किए, इनमे से एक पीपासेन जी क्षत्रिय थे, सम्प्रदाय की शर्त अनुसार यह सभी ब्रह्मचारी हो, यह आवश्यक है । इस संप्रदाय के संन्यासी/साधु [[बैरागी वैष्णव ब्राह्मण|बैरागी]] भी कहे जाते हैं। इनके अपने अखाड़े भी हैं। यूं तो रामानंदी सम्प्रदाय की शाखाएं औऱ उपशाखाएँ देश भर में फैली हैं। लेकिन [[अयोध्या]], [[चित्रकूट धाम|चित्रकूट]], [[नासिक|नाशिक]], [[हरिद्वार]] में इस संप्रदाय के सैकड़ो मठ-मंदिर हैं। काशी के '''पंचगंगा घाट''' पर अवस्थित '''श्रीमठ''', दुनिया भर में फैले रामानंदियों का मूल गुरुस्थान है। दूसरे शब्दों में कहें तो काशी का '''श्रीमठ''' हीं सगुण और निर्गुण रामभक्ति परम्परा और [[रामानंदी संप्रदाय|रामानन्दी सम्प्रदाय]] का मूल आचार्यपीठ है। वर्तमान में '''जगदगुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज''', श्रीमठ के गादी पर विराजमान हैं। वे न्याय शास्त्र के प्रकांड विद्वान हैं और संन्यासी जगत में समादृत हैं।
 
 
भी कहे जाते हैं। इनके अपने अखाड़े भी हैं। यूं तो रामानंदी सम्प्रदाय की शाखाएं औऱ उपशाखाएँ देश भर में फैली हैं। लेकिन [[अयोध्या]], [[चित्रकूट धाम|चित्रकूट]], [[नासिक|नाशिक]], [[हरिद्वार]] में इस संप्रदाय के सैकड़ो मठ-मंदिर हैं। काशी के '''पंचगंगा घाट''' पर अवस्थित '''श्रीमठ''', दुनिया भर में फैले रामानंदियों का मूल गुरुस्थान है। दूसरे शब्दों में कहें तो काशी का '''श्रीमठ''' हीं सगुण और निर्गुण रामभक्ति परम्परा और [[रामानंदी संप्रदाय|रामानन्दी सम्प्रदाय]] का मूल आचार्यपीठ है। वर्तमान में '''जगदगुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्रीरामनरेशाचार्य जी महाराज''', श्रीमठ के गादी पर विराजमान हैं। वे न्याय शास्त्र के प्रकांड विद्वान हैं और संन्यासी जगत में समादृत हैं।
 
== भक्ति-यात्रा ==