No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 15:
 
== चिंतनधारा ==
भारतीय धर्म, दर्शन, साहित्य और संस्कृति के विकास में भागवत धर्म तथा वैष्णव भक्ति से संबद्ध वैचारिक क्रांति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वैष्णव भक्ति के महान संतों की उसी श्रेष्ठ परंपरा में आज से लगभग सात सौ नौ वर्ष पूर्व स्वामी रामानंद का प्रादुर्भाव हुआ। उन्होंने श्री सीताजी द्वारा पृथ्वी पर प्रवर्तित '''विशिष्टाद्वैत''' (राममय जगत की भावधारा) सिद्धांत तथा रामभक्ति की धारा को मध्यकाल में अनुपम तीव्रता प्रदान की। उन्हें उत्तरभारत में आधुनिक भक्ति मार्ग का प्रचार करने वाला और वैष्णव साधना के मूल प्रवर्त्तक के रूप में स्वीकार किया जाता है। एक प्रसिद्ध लोकोक्ति के अनुसार-
 
: '''भक्ति द्रविड़ ऊपजी , लायोलायौ रामानंद'''
 
== रामानंद का समन्वयवाद ==