"शकुनि": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
संजीव कुमार (वार्ता | योगदान) छो Yosaw9 (Talk) के संपादनों को हटाकर इतिहास विश्लेषण के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया टैग: वापस लिया |
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 11:
हस्तिनापुर राज्य को दो बराबर टुकडो़ में बाँटकर एक भाग, जो की पुर्णतः बंजर था, पाण्डवों को दे दिया गया, जिसे उन्होनें अपने अथक प्रयासों से [[इन्द्रप्रस्थ|इंद्रप्रस्थ]] (वर्तमान [[दिल्ली]]) नामक सुंदर नगरी में परिवर्तित कर दिया। शीघ्र ही वहाँ की भव्यता कि चर्चाएँ दूर्-दूर तक होने लगीं। [[युधिष्ठिर]] द्वारा किए गए राजसूय यज्ञ के अवसर पर, [[दुर्योधन]] को भी उस भव्य नगरी में जाने का अवसर मिला। वह राजमहल की भव्यता देख रहा था, कि एक स्थान पर उसने पानी की तल वाली सजावट को ठोस भूमि समझ लिया और पानी मे गिर गया। यह देखकर द्रौपदी हंसने लगी और उसने दुर्योधन को अंधे का पुत्र अंधा कहा। इसे दुर्योधन ने अपना अपमान समझा और वह हस्तिनापुर लौट आया।
अपने भांजे की यह मानसिक स्थिति भाँपकर, शकुनि ने मन में पाण्डवों का राजपाट
== कुरुक्षेत्र का युद्ध ==
|