"वृंदावनलाल वर्मा": अवतरणों में अंतर

No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1:
{{ज्ञानसन्दूक लेखक
[[चित्र:Vrindavanlal verma.jpg|thumb|right|200px|वृंदावन लाल वर्मा ]] '''वृंदावनलाल वर्मा''' का जन्म ०९ जनवरी १८८९ ई० को मऊरानीपुर झाँसी (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पिता का नाम अयोध्या प्रसाद था। पौराणिक तथा ऐतिहासिक कथाओं के प्रति बचपन से ही इनकी रुचि थी। प्रारम्भिक शिक्षा भिन्न-भिन्न स्थानो पर हुई। बी.ए. पास करने के बाद इन्होंने कानून की परीक्षा पास की और झाँसी में वकालत करने लगे। १९०९ ई० में 'सेनापति ऊदल' नामक नाटक छपा जिसे तत्कालीन सरकार ने जब्त कर लिया। १९२० ई० तक छोटी छोटी कहानियाँ लिखते रहे। १९२७ ई० में [[गढ़ कुण्डार]] दो महीने में लिखा। १९३० ई० में [[विराटा की पद्मिनी]] लिखा। अपनी साहित्यिक सेवाओं के लिए वृंदावनलाल वर्मा को आगरा विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट्. की उपाधि से सम्मानित किया गया।
| नाम = वृंदावनलाल वर्मा
| चित्र = Vrindavanlal verma.jpg
| चित्र आकार = 200px
| चित्र शीर्षक = वृंदावनलाल वर्मा
| उपनाम =
| जन्मतारीख़ = [[९ जनवरी]] [[१८८९]]
| जन्मस्थान = मऊरानीपुर झाँसी (उत्तर प्रदेश)
| मृत्युतारीख़ =
| मृत्युस्थान =
| कार्यक्षेत्र = कवि, लेखक
| राष्ट्रीयता = [[भारत|भारतीय]]
| भाषा = [[हिन्दी]]
| काल = आधुनिक काल<!--is this for her writing period, or for her life period? I'm not sure...-->
| विधा = [[कहानी]], [[उपन्यास]],
| विषय = [[ऐतिहासिक]]
| आन्दोलन =
| प्रमुख कृति = [[मृगनयनी]], [[रखी की लाज]]
| प्रभाव डालने वाला = <!--यह लेखक किससे प्रभावित होता है-->
| प्रभावित = <!--यह लेखक किसको प्रभावित करता है-->
| हस्ताक्षर =
| जालपृष्ठ =
| टीका-टिप्पणी =
| मुख्य काम =
[[चित्र:Vrindavanlal verma.jpg|thumb|right|200px|वृंदावन लाल वर्मा ]] }}'''वृंदावनलाल वर्मा''' का जन्म ०९ जनवरी १८८९ ई० को मऊरानीपुर झाँसी (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पिता का नाम अयोध्या प्रसाद था। पौराणिक तथा ऐतिहासिक कथाओं के प्रति बचपन से ही इनकी रुचि थी। प्रारम्भिक शिक्षा भिन्न-भिन्न स्थानो पर हुई। बी.ए. पास करने के बाद इन्होंने कानून की परीक्षा पास की और झाँसी में वकालत करने लगे। १९०९ ई० में 'सेनापति ऊदल' नामक नाटक छपा जिसे तत्कालीन सरकार ने जब्त कर लिया। १९२० ई० तक छोटी छोटी कहानियाँ लिखते रहे। १९२७ ई० में [[गढ़ कुण्डार]] दो महीने में लिखा। १९३० ई० में [[विराटा की पद्मिनी]] लिखा। अपनी साहित्यिक सेवाओं के लिए वृंदावनलाल वर्मा को आगरा विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट्. की उपाधि से सम्मानित किया गया।
 
'''प्रकाशित कृतियाँ'''- '''(उपन्यास)'''- [[गढ़ कुण्डार]]-१९३० ई०, लगन -१९२८ ई०, संगम -१९२८ ई०, प्रत्यागत -१९२७ ई०, कुण्डली चक्र -१९३२ ई०, प्रेम की भेंट- १९२८ ई०,[[विराटा की पद्मिनी]]- १९३६ ई०, [[मुसाहिब जू]] -१९४६ ई०, कभी न कभी -१९४५ ई०, [[झाँसी की रानी(उपन्यास)]]- १९४६ ई०, [[कचनार(उपन्यास)]]- १९४७ ई०, अचल मेरा कोई -१९४७ ई०, माधव जी सिन्धिया- १९५७ ई०, टूटे काँटे -१९५४ ई०, [[मृगनयनी]] -१९५० ई०, सोना -१९५२ ई०, अमरवेल -१९५३ ई०, भुवन विक्रम -१९५७ ई०,