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|संगठन = हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसियेशन
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'''अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ''', ([[उर्दू भाषा|उर्दू]]: اشفاق اُللہ خان, [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेजी]]:Ashfaq Ulla Khan, [[जन्म]]:22 अक्तूबर १९००, [[मृत्यु]]:१९२७) [[भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन|भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम]] के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्होंने [[काकोरी काण्ड]] में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। [[ब्रिटिश राज|ब्रिटिश शासन]] ने उनके ऊपर अभियोग चलाया और १९ दिसम्बर सन् १९२७ को उन्हें [[फ़ैज़ाबाद|फैजाबाद]] जेल में [[फाँसी]] पर लटका कर मार दिया गया। [[राम प्रसाद 'बिस्मिल'|राम प्रसाद बिस्मिल]] की भाँति अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ भी [[उर्दू भाषा]] के बेहतरीन [[कवि|शायर]] थे। उनका [[उर्दू भाषा|उर्दू]] '''तखल्लुस''', जिसे [[हिन्दी]] में [[उपनाम]] कहते हैं, '''हसरत''' था। [[उर्दू भाषा|उर्दू]] के अतिरिक्त वे [[हिन्दी]] व [[अंग्रेज़ी भाषा|अँग्रेजी]] में लेख एवं कवितायें भी लिखा करते थे। उनका पूरा नाम '''अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ वारसी हसरत''' था। [[भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन|भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम]] के सम्पूर्ण [[इतिहास]] में '''बिस्मिल''' और '''अशफ़ाक़''' की भूमिका निर्विवाद रूप से [[हिन्दू]]-[[मुसलमान|मुस्लिम]] एकता<ref>मदनलाल वर्मा 'क्रान्त' सरफरोशी की तमन्ना (भाग-एक) पृष्ठ-७० से ७३</ref> का अनुपम [[आख्यान]] है।
== काकोरी केस के दीगर हालात ==
यह एक ऐतिहासिक सच्चाई है कि [[काकोरी काण्ड]] का फैसला ६ अप्रैल १९२७ को सुना दिया गया था। अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ और शचीन्द्रनाथ बख्शी को [[पुलिस]] बहुत बाद में गिरफ्तार कर पायी थी अत: स्पेशल सेशन जज जे०आर०डब्लू० बैनेट<ref>डॉ॰ एन० सी० मेहरोत्रा व मनीषा टण्डन ''स्वतन्त्रता आन्दोलन में शाहजहाँपुर जनपद का योगदान'' पृष्ठ-१३४</ref> की अदालत में ७
::'''"देखो अशफ़ाक़ भाई! तुम भी [[मुसलमान|मुस्लिम]] हो और अल्लाह के फजल से मैं भी एक [[मुसलमान|मुस्लिम]] हूँ इस बास्ते तुम्हें आगाह कर रहा हूँ। ये [[राम प्रसाद 'बिस्मिल'|राम प्रसाद बिस्मिल]] बगैरा सारे लोग [[हिन्दू]] हैं। ये यहाँ हिन्दू सल्तनत कायम करना चाहते हैं। तुम कहाँ इन काफिरों के चक्कर में आकर अपनी जिन्दगी जाया करने की जिद पर तुले हुए हो। मैं तुम्हें आखिरी बार समझाता हूँ, मियाँ! मान जाओ; फायदे में रहोगे।"'''
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