"बहु-प्रतिभा सिद्धांत": अवतरणों में अंतर

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'''बहु-प्रतिभा का सिद्धान्त''' (theory of multiple intelligences), लोगों एवं उनकी विभिन्न प्रकार की प्रतिभाओं '''''<code>भाषाई,स्थानिक, दैहिक, इन्द्रियगत, अंतर्वैयक्तिक, अन्तःवैयक्तिक, सांगीतिक, तार्किक गणितीय</code>''''' के बारे में [[हार्वर्ड गार्डनर]] का एक मनोवैज्ञानिक सिद्धांत है जिसे उन्होने सन् १९८३ में प्रतिपादित किया। इस सिद्धान्त के द्वारा [[बुद्धि]] की अवधारणा (कांसेप्ट) को और अधिक शुद्धता से परिभाषित किया गया है और यह देखने की कोशिश की गयी है कि बुद्धि को मापने के लिये पहले से मौजूद सिद्धान्त किस सीमा तक वैज्ञानिक हैं।
 
== परिचय ==
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गार्डनर का मत है कि प्रत्येक व्यक्ति में सात प्रकार की प्रतिभाएं होती हैं। किसी व्यक्ति में दो या अधिक प्रधान प्रतिभाएं हो सकती हैं और कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनमें सात प्रतिभाएँ संतुलित रूप से होती हैं। हॉवर्ड गार्डनर ने शुरुआत में सात प्रतिभाएं सूत्र रूप में रखीं। उनकी सूची अस्थायी थी। पहली दो को स्कूलों में विशेषतौर पर महत्व दिया गया है, अगली तीन सामान्यतः कला से जोड़ी जाती हैं, एवं अंतिम दो वे हैं जिन्हें होवर्ड गार्डनर ने 'व्यक्तिगत प्रतिभा' कहा।
wacheeenn!!!
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
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[[श्रेणी:मनोविज्ञान]]
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