"गोखरू": अवतरणों में अंतर

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'''गोखरू''' या 'गोक्षुर' (Tribulus terrestris, Land caltrops, Puncture vine) भूमि पर फ़ैलने वाला छोटा प्रसरणशील क्षुप है जो कि आषाढ़ और श्रावण मास मे प्राय हर प्रकार की जमीन या खाली जमीन पर उग जाता है। पत्र खंडित और [[पुष्प|फूल]] पीले रंग के आते हैं, फल कंटक युक्त होते हैं, बाजार मे गोखरु के नाम से इसके बीज मिलते हैं। उत्तर भारत मे, [[हरियाणा]], [[राजस्थान]] मे यह बहुत मिलता है।
 
इसमें [[चना|चने]] के आकार के कड़े और कँटीले फल लगते हैं। ये फल ओषिधि के काम में आते हैं और वैद्यक में इन्हें शीतल, मधुर, पुष्ट, रसायन, दीपन और काश, वायु, अर्श और ब्रणनाशक कहा है। यह फल बड़ा और छोटा दो प्रकार का होता है। कहीं कहीं गरीब लोग dcgcvgxhcvhcothk7इसके mxhjggjhio8gबीजों का [[आटा]] बनाकर खाते हैं।
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यह शीतवीर्य, मुत्रविरेचक, बस्तिशोधक, अग्निदीपक, वृष्य, तथा पुष्टिकारक होता है। विभिन्न विकारो मे वैद्यवर्ग द्वारा इसको प्रयोग किया जाता bcjvjhogjhuphgg ok digco0cloxlहै।है। मुत्रकृच्छ, सोजाक, अश्मरी, बस्तिशोथ, वृक्कविकार, प्रमेह, नपुंसकता, ओवेरियन रोग, वीर्य क्षीणता मे इसका प्रयोग किया जाता है।
 
== परिचय ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/गोखरू" से प्राप्त