"सिविल प्रक्रिया": अवतरणों में अंतर

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==परिचय==
यदि किसी व्यतिव्यक्ति के अधिकारों का किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है तो जिस व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है वह न्यायालय की शरण जाता है। किसी भी सिविल मुकदमे को आरम्भ करने से लेकर उसके निपटारे तक के लिये न्यायालय की अपनी एक प्रक्रिया होती है क्योंकि यदि यह प्रक्रिया न हो या निश्चित न हो तो अनेकों समस्याएँ आयेंगी और केस के निपटारे में असाधारण बिलम्ब हो सकता है।ऐसी समस्याओं से बचने के लिये ही [[सिविल प्रक्रिया संहिता, १९०८]] पारित की गयी थी। इसमें न्यायालय में सिविल वाद के प्रस्तुति से लेकर निस्तारण तथा उसके बाद उसकी [[डिक्री]] के निष्पादन के लिये एक सुस्पष्ट लिखित प्रक्रिया निर्धारित कर दी गयी है।
 
==सिविल वाद==