"कुशीनगर": अवतरणों में अंतर

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==धार्मिक व ऐतिहासिक परिचय==
कुशीनगर का इतिहास अत्यन्त ही प्राचीन व गौरवशाली है। इसी स्थान पर महात्मा बुद्ध ने [[महापरिनिर्वाण]] प्राप्त किया था। प्राचीन काल में यह नगर [[मल्ल वंश|सैथवारमल्ल वंश]] की राजधानी तथा [[महाजनपद|16 महाजनपदों]] में एक था। चीनी यात्री [[ह्वेन त्सांग|ह्वेनसांग]] और [[फ़ाहियान|फाहियान]] के यात्रा वृत्तातों में भी इस प्राचीन नगर का उल्लेख मिलता है। [[वाल्मीकि रामायण]] के अनुसार यह स्थान [[त्रेतायुग|त्रेता युग]] में भी आबाद था और यहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान [[राम]] के पुत्र [[कुश]] की राजधानी थी जिसके चलते इसे 'कुशावती' नाम से जाना गया। [[पालि भाषा का साहित्य|पालि साहित्य]] के ग्रंथ [[त्रिपिटक]] के अनुसार बौद्ध काल में यह स्थान षोड्शसोलह [[महाजनपद|महाजनपदों]] में से एक था। [[मल्ल राजवंश|मल्ल राजाओं]] की यह राजधानी तब 'कुशीनारा' के नाम से जानी जाती थी। ईसापूर्व पांचवी शताब्दी के अन्त तक या छठी शताब्दी की शुरूआत में यहां भगवान बुद्ध का आगमन हुआ था। कुशीनगर में ही उन्होंने अपना अंतिम [[उपदेश]] देने के बाद महापरिनिर्वाण को प्राप्त किया था।
 
इस प्राचीन स्थान को प्रकाश में लाने के श्रेय [[अलेक्ज़ैंडर कन्निघम|जनरल ए कनिंघम]] और ए. सी. एल. कार्लाइल को जाता है जिन्होंनें 1861 में इस स्थान की खुदाई करवाई। खुदाई में छठी शताब्दी की बनी भगवान बुद्ध की लेटी प्रतिमा मिली थी। इसके अलावा रामाभार स्तूप और और माथाकुंवर मंदिर भी खोजे गए थे। 1904 से 1912 के बीच इस स्थान के प्राचीन महत्व को सुनिश्चित करने के लिए [[भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण|भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण]] विभाग ने अनेक स्थानों पर खुदाई करवाई। प्राचीन काल के अनेक मंदिरों और मठों को यहां देखा जा सकता है।