"अथर्ववेद संहिता": अवतरणों में अंतर

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:* अथर्ववेद गृहस्थाश्रम के अंदर पति-पत्नी के कर्त्तव्यों तथा विवाह के नियमों, मान-मर्यादाओं का उत्तम विवेचन करता है।
:* अथर्ववेद में ब्रह्म की उपासना संबन्धी बहुत से मन्त्र हैं।
:* इसकी रचना अथर्वा ऋषि ने किया था और इसके कुछ भाग को अंगिरस ने लिखा था अतः इसको [https://www.importantgyan.com/atharva-veda-in-hindi/ अथर्वाअंगिरस] वेद भी कहा जाता है। अथर्ववेद
के मंत्र से यज्ञ को सम्पादन करने वाले पुरोहित को 'ब्रह्म'कहा जाता था। मगध और अंग राज्य के लिए "ब्रात्य" या 'धर्मच्युत'शब्द का प्रयोग किया गया है । इसमे यह प्रार्थना मिलता है की वे लोग ज्वर से पीड़ित हों।
 
== इन्हें भी देखें ==