"पोषण": अवतरणों में अंतर

→‎पोषक तत्व: छोटा सा सुधार किया।
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
→‎विटामिन: व्याकरण में सुधार
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
पंक्ति 101:
भारत के अतीत काल में जनता के पोषण का नक्शा बड़ा ही उत्साहजनक है। दूध, दही और मक्खन की कमी नहीं थी। जंगलों में शिकार होता था। खेती की उपज भी जनसमूह के हिसाब से अच्छी थी। सभी को आहार समाग्री उचित मात्रा में मिलती थी और पोषण भी उत्तम था। जनसंख्या की वृद्धि और आहार सामग्रियों की कमी से पोषण में गड़बड़ी हो गई।
 
आवश्यक पोषण का भार समाज और राज्य पर अनिवार्य है और इन्हीं के द्वारा जनता का पोषण उत्तम हो सकता है। जैसे गर्भवती स्त्री का पोषण मातृ-सेवा-सदन पर निर्भर है; शिशु का पोषण शिशु-सेवा-सदन पर आधारित है; इसी प्रकार पाठशाला जानेवालीजाने वाले बालक बालिकाओं का पोषण उद्योग-संचालकों पर बहुत निर्भर करता है। इन सबों की देखभाल और निरीक्षण का भार देश की राज्य व्यवस्था पर है।
 
गरम देशों में प्रोटीन की कमी से एक प्रकार की रक्तहीनता पाई जाती है। इसका भी ध्यान रखना जरूरी है। विटामिनों की कमी हो और यदि इसकी पूर्ति आहार पदार्थो से न होती हो, तो कृत्रिम विटामिन के सेवन से इसे पूरा किया जा सकता है। गर्भवती स्त्रियों की 100 मिलीग्राम ऐसकौर्बिक अम्ल (विटामिन सी) की आवश्यकता है, जो एक गिलास नारंगी के रस से मिल सकता हे, या 100 मिलीग्राम ऐकौर्बिक अम्ल के खाने से प्राप्त हो सकता है। गर्भावस्था में सब विटामिनों की आवश्यकता विशेष मात्रा में होती है। और यह आहार या कृत्रिम विटामिनों से पूरी की जा सकती है। अवस्था का लिहाज करते हुए सर्वांग पूर्ण और संतुलित भोजन उन्हें प्रतिदिन मिलना चाहिए।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/पोषण" से प्राप्त