"प्रेम": अवतरणों में अंतर

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18:02, 5 अक्टूबर 2009 का अवतरण

प्र और एम का युग्म रूप प्रेम कहलाता है। प्र को प्रकारात्मक और एम को पालन करता भी माना जाता है। "ऐं" शब्द दुर्गा सप्तशती के अनुसार पालन करने वाले के रूप में माना जाता है। निस्वार्थ भाव से चाहत भी प्रेम की परिभाषा में सम्मिलित है। एक कहावत में प्रेम शब्द की परिभाषा बताई गयी है,-"प्रेम प्रेम सब कोई कहे,प्रेम ना जाने कोय,ढाई अक्षर प्रेम को पढे से पंडित होय"। ज्योतिष के अनुसार प्रेम का कारक सूर्य है,सूर्य से दर्शन और शनि से परसन की भावना बनती है,सूर्य से रूप का मन के उदय होना,और सूर्य से आत्मा का जुड जाना,प्रेम में सहायक होता है। निश्चल प्रेम का कारक चन्द्रमा भी है,जिसे ज्योतिष में माता के रूप में माना जाता है। भौतिक प्रेम का कारक शुक्र भी है,जिसे संसार की भौतिक सम्पदा और पति के लिये पत्नी के रूप में जाना जाता है। बुध विद्या का कारक है,और विद्या से प्रेम करने के द्वारा बुद्धि का विकास सम्बभव है। [[श्रेणी:ज्योतिष”