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[[चित्र:Harshabysumchung.jpg|right|thumb|300px|हर्षवर्धन का साम्राज्य]]
[[चित्र:Palace ruins 2.JPG|right|thumb|300px|हर्ष का टीला]]
'''हर्षवर्धन''' (590-647 ई.) [[प्राचीन भारत]] में एक राजा था जिसने उत्तरी भारत में अपना एक सुदृढ़ साम्राज्य स्थापित किया था। वह अंतिम हिंदू सम्राट् था जिसने राजपूताना [[पंजाब क्षेत्र|पंजाब]राजस्थान] छोड़कर शेष समस्त उत्तरी भारत पर राज्य किया। शशांक की मृत्यु के उपरांत वह [[बंगाल]] को भी जीतने में समर्थ हुआ। हर्षवर्धन के शासनकाल का इतिहास [[मगध महाजनपद|मगध]] से प्राप्त दो ताम्रपत्रों, [[राजतरंगिणी]], चीनी यात्री [[ह्वेन त्सांग|युवान् च्वांग]] के विवरण और हर्ष एवं [[बाणभट्ट]] रचित [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] काव्य ग्रंथों में प्राप्त है। शासनकाल ६०६ से ६४७ ई.। वंश - थानेश्वर का [[पुष्यभूति राजवंश|पुष्यभूति वंश (संस्थापक पुष्यभूति) वर्धन राजवंश
मुख्यतः हर्षवर्धन के वंश को लेकर एक विवाद रहता है किन्तु यह विवाद का विषय है ही नहीं । क्योंकि ह्वेनसांग ने हर्षवर्धन की जाति वैश्य लिखी है जबकि बाणभट्ट ने उन्हें बैस सूर्यवंशी क्षत्रिय कहा है ह्वेनसांग विदेशी थे उन्हें 'बै' को 'वै' कहा इसलिए उन्होंने वैशाली को वैश्याली भी कहा है तथा कई स्थानों पर ह्वेनसांग ने वैश्या भी कहा है
अतः ह्वेनसांग के इस शब्द चूक के कारण हर्षवर्धन को वैश्य बताया गया।{{उद्धरण आवश्यक}}