"देवकीनन्दन खत्री": अवतरणों में अंतर
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बाबू देवकीनन्दन खत्री ने जब उपन्यास लिखना शुरू किया था उस जमाने में अधिकतर लोग भी उर्दू भाषा भाषी ही थे। ऐसी परिस्थिति में खत्री जी का मुख्य लक्ष्य था ऐसी रचना करना जिससे [[देवनागरी]] हिन्दी का प्रचार-प्रसार हो। यह उतना आसान कार्य नहीं था। परन्तु उन्होंने ऐसा कर दिखाया। चन्द्रकान्ता उपन्यास इतना लोकप्रिय हुआ कि जो लोग हिन्दी लिखना-पढ़ना नहीं जानते थे या उर्दूदाँ थे, उन्होंने केवल इस उपन्यास को पढ़ने के लिए हिन्दी सीखी। इसी लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इसी कथा को आगे बढ़ाते हुए दूसरा उपन्यास "[[चंद्रकांता|चन्द्रकान्ता सन्तति]]" लिखा जो "चन्द्रकान्ता" की अपेक्षा कई गुणा रोचक था। इन उपन्यासों को पढ़ते वक्त लोग खाना-पीना भी भूल जाते थे। इन उपन्यासों की भाषा इतनी सरल है कि इन्हें पाँचवीं कक्षा के छात्र भी पढ़ लेते हैं। पहले दो उपन्यासों के २००० पृष्ठ से अधिक होने पर भी एक भी क्षण ऐसा नहीं आता जहाँ पाठक ऊब जाए।
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[[चित्र:Durga Prasad Khatri.JPG|thumb|right|250px|[[दुर्गाप्रसाद खत्री]], पुत्र]]
* '''[[चन्द्रकान्ता]]''' (१८८८ - १८९२): चन्द्रकान्ता उपन्यास को पढ़ने के लिये लाखों लोगों ने हिंदी सीखी। यह उपन्यास चार भागों में विभक्त है।
* '''[[चंद्रकांता|चन्द्रकान्ता सन्तति]]''' (१८९४ - १९०४): चन्द्रकान्ता की अभूतपूर्व सफलता से प्रेरित हो कर देवकीनन्दन खत्री जी ने चौबीस भागों वाली विशाल उपन्यास चंद्रकान्ता सन्तति की रचना की। उनका यह उपन्यास भी अत्यन्त लोकप्रिय हुआ।
* '''[[भूतनाथ]]''' (१९०७ - १९१३) (अपूर्ण): चन्द्रकान्ता सन्तति के एक पात्र को नायक का रूप देकर देवकीनन्दन खत्री जी ने इस उपन्यास की रचना की। किन्तु असामायिक मृत्यु के कारण वे इस उपन्यास के केवल छः भागों को लिख पाये उसके बाद के शेष पन्द्रह भागों को उनके पुत्र [[दुर्गाप्रसाद खत्री]] ने लिख कर पूरा किया। 'भूतनाथ' भी कथावस्तु की अन्तिम कड़ी नहीं है। इसके बाद बाबू दुर्गा प्रसाद खत्री लिखित '''[[रोहतासमठ]]''' (दो खंडों में) आता है। कथा यहाँ भी समाप्त नहीं होती। प्रकाशक (लहरी बुक डिपो, वाराणसी) से पूछताछ करने पर पता चला कि इस कथा की अन्तिम कड़ी '''[[शेरसिंह]]''' लिखी जा रही है और इसका प्रकाशन संभवतः २०२० के शुरुआत तक हो जाएगा।
* [[कुसुम कुमारी]]
* [https://hi.wikisource.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%9F%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A4%BE_%E0%A4%AD%E0%A4%B0_%E0%A4%96%E0%A5%82%E0%A4%A8 वीरेन्द्र वीर उर्फ कटोरा भर खून]
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