"पेशवा": अवतरणों में अंतर

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जन्म, १७८४ ई. : मृत्यु १८३०। माधवराव द्वितीय की आकस्मिक मृत्यु के बाद महाराष्ट्र में अव्यवस्था तीव्रतर हो उठी। प्राय: सात महीने तक उत्तराधिकारी का प्रश्न समस्या बना रहा। माधवराव के निस्संतान होने के कारण वास्तव में राज्याधिकार राघोबा के ज्येष्ठ पुत्र बाजीराव द्वितीय का था। किंतु नाना फड़नवीस उसके विपक्ष मे था। अत: नाना ने बाजीराव के अनुज चिमनाजी को उसकी अस्वीकृति पर भी पदासीन करने का निश्चय किया। उसकी नियुक्ति वैध ठहरने के लिये प्रथमत: उसे माधवराव की विधवा यशोदाबाई से गोद लिवाया गया (२५ मई १७९६)। तदनंतर २ जून को उसका पदारोहण हुआ। किंतु तत्काल ही आंतरिक विग्रह से प्रभावित हो नाना फड़नवीस ने बाजीराव के पक्ष में तथा चिमनाजी के विरुद्ध षड्यंत्र आयोजित किया। फलत: चिमनाजी बंदी हुआ, बाजीराव पेशवा नियुक्त हुआ। (६ दिसम्बर १७९६)। अंतिम आँग्ल-मराठा-युद्ध की समाप्ति पर जब बाजीराव ने अंग्रेजों के सम्मुख आत्मसमर्पण किया, चिमनाजी बनारस जाकर रहने लगा, जहाँ १८३० में उसकी मृत्यु हो गई।
 
== सोनू बाजीराव द्वितीय ==
'''{{मुख्य|बाजीराव द्वितीय}}'''
जन्म १७७५ ई. : मृत्यु १८५१। रघुनाथराव तथा मराठा दरबार के अभिभावक नाना फड़णवीस में तीव्र मनोमालिन्य था। अत: माधवराव द्वितीय की मृत्यु पर नाना ने बाजीराव की अपेक्षा उसके अनुज चिमनाजी अप्पा को पेशवा घोषित किया (२ जून १७९६) किंतु आंतरिक दाँव पेचों से प्रभावित हो, नाना ने तुरंत ही चिमनाजी को पदच्युत कर बाजीराव को पेशवा घोषित किया। (६ दिसम्बर १७९६)। बाजीराव का अधिकांश जीवन बंदीगृह में व्यतीत होने के कारण उसकी शिक्षा दीक्षा नितांत अधूरी रही। उसकी प्रकृति भी कटु और विकृत हो गई। अयोग्य तथा अनुभवहीन होने के अतिरिक्त वह स्वभाव से दुर्मति तथा विश्ववासघाती था। अपने उपकारी नाना के विरुद्ध षड्यंत्र रचकर उसने उसके अंतिम दिवस कष्टप्रद कर दिए। १८०० में नाना की मृत्यु से बाजीराव पर रहा-सहा नियंत्रण हट जाने पर बाजीराव के दुर्व्यवहार तथा महाराष्ट्र की विच्छृंखला में वृद्धि होने लगी। पेशवा द्वारा विठोजी होल्कर की हत्या (१८०१) ने यशवंतराव होल्कर को पेशवा कर आक्रमण करने के लिये उत्तेजित किया। पेशवा तथा सिंधिया की पराजय हुई। पेशवा की अँगरेजों से बेसीन की संधि (१८०२) के उपरांत बाजीराव पुन: पुणे पहुंचा। इसी क्रम में [[द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध]] छिड़ गया। परिणामस्वरूप बाजीराव को अँगरेजों का प्रभुत्व स्वीकार करना पड़ा, तथा महाराष्ट्र की स्वतंत्रता भी समाप्त हो गई। अंतिम आँग्ल-मराठा-युद्ध में अँगरेजों ने पुन: बाजीराव को संधि के लिये विवश किया (५ नवम्बर १८१७) जिससे उसे मराठा संघ पर अपना राज्यअधिकार त्यक्त करना पड़ा। अंतत: युद्ध की समाप्ति पर मराठा साम्राज्य ही अँग्रेजों के अधिकार में हो गया। बाजीराव अँगरेजों की पेंशन ग्रहण कर विठूर (उत्तर प्रदेश) जाकर निवास करने लगा।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/पेशवा" से प्राप्त