"प्रदोष व्रत": अवतरणों में अंतर
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प्रदोष व्रत विधि के अनुसार दोनों पक्षों की प्रदोषकालीन त्रयोदशी को मनुष्य निराहार रहे। निर्जल तथा निराहार व्रत सर्वोत्तम है परंतु अगर यह संभव न हो तो नक्तव्रत करे। पूरे दिन सामर्थ्यानुसार या तो कुछ न खाये या फल ले। अन्न पूरे दिन नहीं खाना। सूर्यास्त के कम से कम 72 मिनट बाद हविष्यान्न ग्रहण कर सकते हैं। शिव पार्वती युगल दम्पति का ध्यान करके पूजा करके। प्रदोषकाल में घी के दीपक जलायें। कम से कम एक अथवा 32 अथवा 100 अथवा 1000 । <ref>{{cite web |title=प्रदोष व्रत विधि |url=https://essenceofastro.blogspot.com/2016/08/pradosh-vrat.html |access-date=16 जून 2020 |archive-url=https://web.archive.org/web/20200616201521/https://essenceofastro.blogspot.com/2016/08/pradosh-vrat.html |archive-date=16 जून 2020 |url-status=dead }}</ref>
Ref<uttpann://shripanchang.blogspot.com/2021/03/shivratri-2021.html?m=1></ref>
== सप्ताहिक दिवसानुसार ==
प्रदोष व्रत के विषय में गया है कि अगर
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