"औरंगज़ेब": अवतरणों में अंतर
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== औरंगज़ेब के प्रशासन में हिंदू ==
औरंगज़ेब के प्रशासन में दूसरे <bdi>मुग़ल</bdi>
औरंगज़ेब की सेना में वरिष्ठ पदों पर बड़ी संख्या में कई [[राजपूत]] नियुक्त थे। मराठा और सिखों के खिलाफ औरंगज़ेब के हमले को धार्मिक चश्मे से देखा जाता है लेकिन यह निष्कर्ष निकालते वक्त इस बात की उपेक्षा कर दी जाती है कि तब युद्ध क्षेत्र में <bdi>मुग़ल</bdi> सेना की कमान अक्सर राजपूत सेनापति के हाथ में होती थी। इतिहासकार यदुनाथ सरकार लिखते हैं कि एक समय खुद शिवाजी भी औरंगज़ेब की सेना में मनसबदार थे। कहा जाता है कि वे दक्षिण भारत में <bdi>मुग़ल</bdi> सल्तनत के प्रमुख बनाए जाने वाले थे लेकिन उनकी सैन्य कुशलता को भांपने में नाकाम रहे औरंगज़ेब ने इस नियुक्ति को मंजूरी नहीं दी।
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=== मंदिर निर्माण और विध्वंस ===
औरंगज़ेब ने जितने मंदिर तुड़वाए, उससे कहीं ज्यादा बनवाए थे। विश्वप्रसिद्ध इतिहासकार रिचर्ड ईटन के मुताबिक <bdi>मुग़ल</bdi>काल में मंदिरों को ढहाना दुर्लभ घटना हुआ करती थी और जब भी ऐसा हुआ तो उसके कारण राजनीतिक रहे। ईटन के मुताबिक वही मंदिर तोड़े गए जिनमें विद्रोहियों को शरण मिलती थी या जिनकी मदद से
इस मामले में कुख्यात कहा जाने वाला औरंगज़ेब भी सल्तनत के इसी नियम पर चला। उसके शासनकाल में मंदिर ढहाने के उदाहरण बहुत ही दुर्लभ हैं (ईटन इनकी संख्या 15 बताते हैं) और जो हैं उनकी जड़ में राजनीतिक कारण ही रहे हैं। उदाहरण के लिए औरंगज़ेब ने [[दक्षिण भारत]] में कभी-भी मंदिरों को निशाना नहीं बनाया जबकि उसके शासनकाल में ज्यादातर सेना यहीं तैनात थी। उत्तर भारत में उसने जरूर कुछ मंदिरों पर हमले किए जैसे [[मथुरा]] का केशव राय मंदिर लेकिन इसका कारण धार्मिक नहीं था। मथुरा के जाटों ने सल्तनत के खिलाफ विद्रोह किया था इसलिए यह हमला किया गया।
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