"कालभैरवाष्टक": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन
No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन उन्नत मोबाइल संपादन
पंक्ति 77:
'''अनुवाद:''' ज्ञान और मुक्ति प्राप्त करने हेतु, भक्तों के विचित्र पुण्य का वर्धन करनेवाले, शोक, मोह, दैन्य, लोभ, कोप-ताप आदि का नाश करने हेतु, जो इस कालभैरवाष्टक का पाठ करते है, वो निश्चित ही कालभैरव के चरणों की प्राप्ति करते हैं.<br>
<div style="text-align: center;">
?॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं कालभैरवाष्टकं संपूर्णम् ॥</div>
 
==यह भी देखें==