"नीतिशतकम्": अवतरणों में अंतर

योगी
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'''नीतिशतकम् योगीराज''' [[भर्तृहरि]] नाथ के तीन प्द्द््प्रसिद्ध शतकों जिन्हें कि ''शतकत्रय'' कहा जाता है, में से एक है। इसमें [[नीति]] सम्बन्धी सौ श्लोक हैं।
 
नीतिशतक में भर्तृहरि ने अपने अनुभवों के आधार पर तथा लोक व्यवहार पर आश्रित नीति सम्बन्धी श्लोकों का संग्रह किया है। एक ओर तो उसने अज्ञता, लोभ, धन, दुर्जनता, अहंकार आदि की निन्दा की है तो दूसरी ओर विद्या, सज्जनता, उदारता, स्वाभिमान, सहनशीलता, सत्य आदि गुणों की प्रशंसा भी की है। नीतिशतक के श्लोक संस्कृत विद्वानों में ही नहीं अपुति सभी भारतीय भाषाओं में समय-समय पर सूक्ति रूप में उद्धृत किये जाते रहे हैं।