"लखीसराय": अवतरणों में अंतर

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'''लखीसराय''' (Lakhisarai) [[भारत]] के [[बिहार]] राज्य के [[लखीसराय ज़िले]] में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।<ref>"[https://books.google.com/books?id=dSZ987-0Fb8C Bihar Tourism: Retrospect and Prospect]," Udai Prakash Sinha and Swargesh Kumar, Concept Publishing Company, 2012, ISBN 9788180697999</ref><ref>"[https://books.google.com/books?id=MMmNVZ4mP98C Revenue Administration in India: A Case Study of Bihar]," G. P. Singh, Mittal Publications, 1993, ISBN 9788170993810</ref>
 
== विवरण ==
'''लखीसराय ''' [[बिहारकिऊल नदी]] काके एककिनारे शहरबसा है। इसका मुख्यालय '''लखीसराय'''हुआ है। लखीसराय बिहार के महत्वपूर्ण शहरों में एक है...इस जिले का गठन 3 जुलाई 1994 को किया गया था...इससे पहले यह [[मुंगेरराष्ट्रीय जिला]]राजमार्ग के33 अंतर्गत(भारत)|राष्ट्रीय आताराजमार्ग था... इतिहासकार इस शहर के अस्तित्व के संबंध में कहते हैं कि यह पाल वंश के समय अस्तित्व में आया था... यह दलील मुख्य रूप से यहां के धार्मिक स्थलों को साक्ष्य मानकर दिया जाता है। चूंकि‍ उस समय के हिंदू राजा मंदिर बनवाने के शौकीन हुआ करते थे, अत: उन्होंने इस क्षेत्र में अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया था। इन मंदिरों में कुछ महत्वपूर्ण तीर्थस्थान इस प्रकार हैं - अशोकधाम, भगवती स्थान बड़ैहया, श्रृंगऋषि, जलप्पा स्थान, अभयनाथ स्थान अभयपुर, माँ दुर्गा मंदिर तेतरहाट,हनुमान मंदिर तेतरहाट, माँ दुर्गा मंदिर शरमा,बाबा शोभनाथ मंदिर,माँ सति स्थान,गोबिंद बाबा स्थान, मानो-रामपुर, दुर्गा स्थान लखीसराय आदि। इसके अलावा महारानी स्थान, दुर्गा मंदिर देखने लायक हैं। महसौरा का दुर्गा मंदिर '''लखीसराय ''' [[बिहार33]] कायहाँ एकसे शहरगुज़रता है। इसका मुख्यालय '''लखीसराय''' है। लखीसराययह बिहार के महत्वपूर्ण शहरों में एक है...इसहै।इस जिले का गठन 3 जुलाई 1994 को किया गया था...इससेथा।इससे पहले यह [[मुंगेर जिला]] के अंतर्गत आता था...था। इतिहासकार इस शहर के अस्तित्व के संबंध में कहते हैं कि यह पाल वंश के समय अस्तित्व में आया था...था। यह दलील मुख्य रूप से यहां के धार्मिक स्थलों को साक्ष्य मानकर दिया जाता है। चूंकि‍ उस समय के हिंदू राजा मंदिर बनवाने के शौकीन हुआ करते थे, अत: उन्होंने इस क्षेत्र में अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया था। इन मंदिरों में कुछ महत्वपूर्ण तीर्थस्थान इस प्रकार हैं - अशोकधाम, भगवती स्थान बड़ैहया, श्रृंगऋषि, जलप्पा स्थान, अभयनाथ स्थान अभयपुर, माँ दुर्गा मंदिर तेतरहाट,हनुमान मंदिर तेतरहाट, माँ दुर्गा मंदिर शरमा,बाबा शोभनाथ मंदिर,माँ सति स्थान,गोबिंद बाबा स्थान, मानो-रामपुर, दुर्गा स्थान लखीसराय आदि। इसके अलावा महारानी स्थान, दुर्गा मंदिर देखने लायक हैं। महसौरा का दुर्गा मंदिर हैं...
हनुमान मंदिर महसौरा माहादेव स्थान महसौरा{{ज्ञानसन्दूक भारत के क्षेत्र
 
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== शिक्षा ==
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क्षेत्रीय भाषा मगही एवं मैथिली बोली जाती है|cationEduशिक्षा=|शिक्षा=लखीसराय प्राचीन काल से ही शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है क्योंकि लखीसराय पाल वंश की राजधानी रही है एवं बहुत बहुत बोध साधुओं संतो का अध्ययन केंद्र रहा है लखीसराय वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में काफी आगे है लखीसराय जिले में कई सारे कॉलेज कॉलेज एवं स्कूल स्थित है जो दोनों है निजी और सरकारी निजी क्षेत्रीय भाषा मगही एवं मैथिली बोली जाती है|cationEduशिक्षा=|शिक्षा=लखीसराय प्राचीन काल से ही शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी रहा है क्योंकि लखीसराय पाल वंश की राजधानी रही है एवं बहुत बहुत बोध साधुओं संतो का अध्ययन केंद्र रहा है लखीसराय वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में काफी आगे है लखीसराय जिले में कई सारे कॉलेज कॉलेज एवं स्कूल स्थित है जो दोनों है निजी और सरकारी निजी तौर पर लखीसराय बालिका विद्यापीठ डीएवी लखीसराय यह सभी विद्यालय लखीसराय में स्थित है एवं केएस कॉलेज के आर के कॉलेज उनमें से प्रमुख हैं।
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लखीसराय बालिका विद्यापीठ dav लखीसराय यह सभी विद्यालय लखीसराय में स्थित है एवं केएस कॉलेज के आर के कॉलेज उनमें से प्रमुख हैं}}
 
== इतिहास ==
'''लखीसराय''' की स्थापना पाल वंश के दौरान एक धार्मिक-प्रशासनिक केंद्र के रूप में की गई थी। यह क्षेत्र हिंदू और बौद्ध देवी देवताओं के लिए प्रसिद्ध है। बौद्ध साहित्य में इस स्थान को अंगुत्री के नाम से जाना जाता है। इसका अर्थ है- जिला। प्राचीन काल में यह अंग प्रदेश का सीमांत क्षेत्र था। पाल वंश के समय में यह स्थान कुछ समय के लिए राजधानी भी रह चुका है। इस स्थान पर धर्मपाल से संबंधित साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। जिले के बालगुदर क्षेत्र में मदन पाल का स्मारक (1161-1162) भी पाया गया है। ह्वेनसांग ने इस जगह पर 10 बौद्ध मठ होने के संबंध में विस्तार से बताया है। उनके अनुसार यहां मुख्य रूप से हीनयान संप्रदाय के बौद्ध मतावलंबी आते थे। इतिहास के अनुसार 11वीं सदी में मोहम्मद बिन बख्तियार ने यहां आक्रमण किया था। शेरशाह ने 15वीं सदी में यहां शासन किया था जबकि यहां स्थित सूर्यगढ़ा शेरशाह और मुगल सम्राट हुमायूं (1534) के युद्ध का साक्ष'''लखीसराय''' की स्थापना पाल वंश के दौरान एक धार्मिक-प्रशासनिक केंद्र के रूप में की गई थी। यह क्षेत्र हिंदू और बौद्ध देवी देवताओं के लिए प्रसिद्ध है। बौद्ध साहित्य में इस स्थान को अंगुत्री के नाम से जाना जाता है। इसका अर्थ है- जिला। प्राचीन काल में यह अंग प्रदेश का सीमांत क्षेत्र था। पाल वंश के समय में यह स्थान कुछ समय के लिए राजधानी भी रह चुका है। इस स्थान पर धर्मपाल से संबंधित साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं। जिले के बालगुदर क्षेत्र में मदन पाल का स्मारक (1161-1162) भी पाया गया है। ह्वेनसांग ने इस जगह पर 10 बौद्ध मठ होने के संबंध में विस्तार से बताया है। उनके अनुसार यहां मुख्य रूप से हीनयान संप्रदाय के बौद्ध मतावलंबी आते थे। इतिहास के अनुसार 11वीं सदी में मोहम्मद बिन बख्तियार ने यहां आक्रमण किया था। शेरशाह ने 15वीं सदी में यहां शासन किया था जबकि यहां स्थित सूर्यगढ़ा शेरशाह और मुगल सम्राट हुमायूं (1534) के युद्ध का साक्षी है।
 
== प्रमुख पर्यटन स्थल ==
=== अशोकधाम ===
'''अशोकधाम''' [[हिन्दू धर्म|हिंदू]] तीर्थयात्रियों के पवित्र स्थानों में से एक है। यहां पाया गया शिवलिंग काफी बड़ा है। यहां खासकर महाशिवरात्रि और सावन के महीने में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होती है। इस स्थान पर कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान भी होते रहते हैं। इनमें से मुंडन बहुत लोकप्रिय है। यहां जाने के लिए लखीसराय रेलवे स्टेशन से मोटर वाहन या तांगा से जाया जा सकता है। अशोक धाम एक परच्हैं मन्दिर इस बहुत पुरानी काहानी है लखिसराय में एक चारबाहा जिसका नाम अशोक था वो नित्यदिन गाय चाराने जाया करता था कि वो देखा कि एक बहुत बड़ी शिवलिंग धरती के अन्दर पड़ा है तो वो उस शिवलिंग को उखाड़ने लगा पर वो जस से तस नहीं हुआ तो वो वहीं एक मन्दिर क निर्माण कर दिया। तब से इस मन्दिर का नाम अशोकधाम पड़ '''अशोकधाम''' [[हिन्दू धर्म|हिंदू]] तीर्थयात्रियों के पवित्र स्थानों में से एक है। यहां पाया गया शिवलिंग काफी बड़ा है। यहां खासकर महाशिवरात्रि और सावन के महीने में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ होती है। इस स्थान पर कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान भी होते रहते हैं। इनमें से मुंडन बहुत लोकप्रिय है। यहां जाने के लिए लखीसराय रेलवे स्टेशन से मोटर वाहन या तांगा से जाया जा सकता है। अशोक धाम एक परच्हैं मन्दिर इस बहुत पुरानी काहानी है लखिसराय में एक चारबाहा जिसका नाम अशोक था वो नित्यदिन गाय चाराने जाया करता था कि वो देखा कि एक बहुत बड़ी शिवलिंग धरती के अन्दर पड़ा है तो वो उस शिवलिंग को उखाड़ने लगा पर वो जस से तस नहीं हुआ तो वो वहीं एक मन्दिर क निर्माण कर दिया। तब से इस मन्दिर का नाम अशोकधाम पड़ गया।
 
=== जलप्पा स्थान ===
यह स्थान आसपास के क्षेत्रों के अलावा दूर-दराज के इलाकों में भी काफी प्रसिद्ध है। यह धार्मिक स्थान पहाड़ियों पर स्थित है। जलप्पा स्थान मुख्य रूप से गौ पुजा के लिए जाना जाता है। यहां खासकर हर मंगलवार को श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। यहां जाने के लिए लखीसराय से चानन क्षेत्र होते हुए जीप, टैक्सी अथवा तांगे से जया जा सकता है। पैदल तीर्थयात्री मानो गांव होते हुए लगभग दो घंटे पैदल चलने के बाद जलप्पा स्थान पहुंचा जा सकता है। साल के प्रारंभ में यहां भारी संख्या में सैलानी आते हैं।
 
'''<u><big>=== माँ दुर्गा मंदिर तेतरहाट</big></u>''' ===
'''माँ दुर्गा मंदिर तेतरहाट''' [[लखीसराय]] टाउन, तेतरहाट थाना क्षेत्र के तेतरहाट गाँव में स्थित है।यहहै। यह किउल नदी के किनारे है। लखीसराय जंक्शन से सड़क मार्ग की दूरी 11 km दक्षिण में है जो लखीसराय-जमुई( SH18)के किनारे में स्थित है।यहाँ जाने के लिए लखीसराय स्टेशन के पास से ऑटो मिलता है।दशहरे यहाँ बड़ा देखने लायक होता है ,यहाँ दूर्गा पूजा में बहुत बड़ा मेला लगता है यहाँ लगभग 22 गाँव से भी ज्यादा के लोग मेला देखने आते है।और इतना ही नहीं श्रावण माह में देवघर जाने वाले श्रद्धालुओं का यह तांता लगा हुआ रहता है,वो लोग यहाँ पे ठहरते है उन लोगो के लिए यह ठहराने की ब्यबस्था की जाती है। इस मंदिर के पुजारी सुदामा पाण्डेय जी है जो सुबह शाम माँ दुर्गे की आरती करते है और आये हुए श्रद्धालु की देख रेख करते है। हरेक दशहरा में इस मंदिर में पंडित जी की मदद करने गाँव के कुछ लड़के हमेशा तत्पर रहते हैं उनमे  सन्नी कुमार अर्णव ,रवि शंकर ,रंजन कुमार, शिवम् कुमार(polytechnic) । .. इत्यादि बहुत सारे लड़के रहते हैं। जो मंदिर प्रांगण की देख रेख भी '''माँ दुर्गा मंदिर तेतरहाट''' [[लखीसराय]] टाउन, तेतरहाट थाना क्षेत्र के तेतरहाट गाँव में स्थित है।यह किउल नदी के किनारे है। लखीसराय जंक्शन से सड़क मार्ग की दूरी 11 km दक्षिण में है जो लखीसराय-जमुई( SH18)के किनारे में स्थित है।यहाँ जाने के लिए लखीसराय स्टेशन के पास से ऑटो मिलता है।दशहरे यहाँ बड़ा देखने लायक होता है ,यहाँ दूर्गा पूजा में बहुत बड़ा मेला लगता है यहाँ लगभग 22 गाँव से भी ज्यादा के लोग मेला देखने आते है।और इतना ही नहीं श्रावण माह में देवघर जाने वाले श्रद्धालुओं का यह तांता लगा हुआ रहता है,वो लोग यहाँ पे ठहरते है उन लोगो के लिए यह ठहराने की ब्यबस्था की जाती है। इस मंदिर के पुजारी सुदामा पाण्डेय जी है जो सुबह शाम माँ दुर्गे की आरती करते है और आये हुए श्रद्धालु की देख रेख करते है। हरेक दशहरा में इस मंदिर में पंडित जी की मदद करने गाँव के कुछ लड़के हमेशा तत्पर रहते हैं उनमे  सन्नी कुमार अर्णव ,रवि शंकर ,रंजन कुमार, शिवम् कुमार(polytechnic) । .. इत्यादि बहुत सारे लड़के रहते हैं। जो मंदिर प्रांगण की देख रेख भी करते हैं।
 
'''माँ दुर्गा मंदिर तेतरहाट''' [[लखीसराय]] टाउन, तेतरहाट थाना क्षेत्र के तेतरहाट गाँव में स्थित है।यह किउल नदी के किनारे है। लखीसराय जंक्शन से सड़क मार्ग की दूरी 11 km दक्षिण में है जो लखीसराय-जमुई( SH18)के किनारे में स्थित है।यहाँ जाने के लिए लखीसराय स्टेशन के पास से ऑटो मिलता है।दशहरे यहाँ बड़ा देखने लायक होता है ,यहाँ दूर्गा पूजा में बहुत बड़ा मेला लगता है यहाँ लगभग 22 गाँव से भी ज्यादा के लोग मेला देखने आते है।और इतना ही नहीं श्रावण माह में देवघर जाने वाले श्रद्धालुओं का यह तांता लगा हुआ रहता है,वो लोग यहाँ पे ठहरते है उन लोगो के लिए यह ठहराने की ब्यबस्था की जाती है। इस मंदिर के पुजारी सुदामा पाण्डेय जी है जो सुबह शाम माँ दुर्गे की आरती करते है और आये हुए श्रद्धालु की देख रेख करते है। हरेक दशहरा में इस मंदिर में पंडित जी की मदद करने गाँव के कुछ लड़के हमेशा तत्पर रहते हैं उनमे  सन्नी कुमार अर्णव ,रवि शंकर ,रंजन कुमार, शिवम् कुमार(polytechnic) । .. इत्यादि बहुत सारे लड़के रहते हैं। जो मंदिर प्रांगण की देख रेख भी '''माँ दुर्गा मंदिर तेतरहाट''' [[लखीसराय]] टाउन, तेतरहाट थाना क्षेत्र के तेतरहाट गाँव में स्थित है।यह किउल नदी के किनारे है। लखीसराय जंक्शन से सड़क मार्ग की दूरी 11 km दक्षिण में है जो लखीसराय-जमुई( SH18)के किनारे में स्थित है।यहाँ जाने के लिए लखीसराय स्टेशन के पास से ऑटो मिलता है।दशहरे यहाँ बड़ा देखने लायक होता है ,यहाँ दूर्गा पूजा में बहुत बड़ा मेला लगता है यहाँ लगभग 22 गाँव से भी ज्यादा के लोग मेला देखने आते है।और इतना ही नहीं श्रावण माह में देवघर जाने वाले श्रद्धालुओं का यह तांता लगा हुआ रहता है,वो लोग यहाँ पे ठहरते है उन लोगो के लिए यह ठहराने की ब्यबस्था की जाती है। इस मंदिर के पुजारी सुदामा पाण्डेय जी है जो सुबह शाम माँ दुर्गे की आरती करते है और आये हुए श्रद्धालु की देख रेख करते है। हरेक दशहरा में इस मंदिर में पंडित जी की मदद करने गाँव के कुछ लड़के हमेशा तत्पर रहते हैं उनमे  सन्नी कुमार अर्णव ,रवि शंकर ,रंजन कुमार, शिवम् कुमार(polytechnic) । .. इत्यादि बहुत सारे लड़के रहते हैं। जो मंदिर प्रांगण की देख रेख भी करते हैं।
 
=== माँ दुर्गा स्थान ===
'''माँ दुर्गा मंदिर''' [[लखीसराय]] टाउन थाना क्षेत्र शरमा में स्थित है।यह किउल नदी के किनारे है। लखीसराय जंक्शन से सड़क मार्ग की दूरी 10 km दक्षिण में है जो लखीसराय-जमुई( SH18)के किनारे में स्थित है।यहाँ जाने के लिए लखीसराय स्टेशन के पास से ऑटो मिलता है।दसहरे यहाँ बड़ा देखने लायक होता है ,यहाँ दूर्गा पूजा में बहुत बड़ा मेला लगता है यहाँ लगभग 20 गाँव से भी ज्यादा के लोग मेला देखने आते है।और इतना ही नहीं श्रावण माह में देवघर जाने वाले श्रद्धालुओं का यह तांता लगा हुआ रहता है,वो लोग यह पे ठहरते है उन लोगो के लिए यह ठहराने की ब्यबस्था की जाती है। इस मंदिर के पुजारी बबलू पाण्डेय जी है जो सुबह शाम माँ दुर्गे की आरती करते है और आये हुए श्रद्धालु की देख रेख करते है।
 
=== गोबिंद बाबा स्थान ===
गोबिंद बाबा का स्थान इस पूर क्षेत्र में पूजनीय है। यह मंदिर मानो-रामपुर गांव में स्थित है। धार्मिक रूप से इस स्थान का काफी महत्व है। इस मंदिर की मुख्य विशेषता यहां का पूजा है जिसको ढ़ाक के नाम से जाना जाता है।
 
=== शृंगीऋषि ===
खड़गपुर की पहाड़ियों पर स्थित यह तीर्थस्थल लखीसराय का श्रृंगार है। यह स्थान जिले के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसका नाम प्रसिद्ध ऋषि शृंगी के नाम पर रखा गया है। किंवदंतियों के अनुसार राजा दशरथ ने अपने चारों पुत्र राम,लक्ष्मण,भरत और शत्रुघ्न का चूड़ाकर्म संस्कार (मुण्डन) यहीं पर किये थे।नूतन वर्ष, श्रावण मास में और विशेष रूप से शिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ यहाँ जुटती है। चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा यह अलौकिक स्थान सैलानियों के मन को मोह लेता है ।सबसे विशेष यहां आनेवाले पर्यटकों के लिए पहाड़ों से निकलती स्वच्छ व निर्मल जल जो जलकुण्ड में आकर गिरती है जिसमें घंटों तक लोग स्नान कर आनन्दित होते हैं।
यहाँ जाने के लिए लोग किऊल रेलवे जंक्शन से उतरकर जीप से सहूर गाँव के रास्ते ज्वलप्पा स्थान होकर जा सकते है ।
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=== अभयनाथ स्थान ===
अभयनाथ स्थान, अभयपुर गाँव के दक्षिण में पहाड़ की चोटी पर स्थित है। यह पवित्र स्थान आसपास के इलाके में काफी प्रसिद्ध है। आप इस मंदिर को मसुदन स्टेशन से देख सकते हैं। अभयपुर ग्राम निवासियों का मानना है कि "बाबा अभयनाथ" के नाम पर ही गाँव का नाम "अभयपुर" पड़ा। यहाँ हर सप्ताह के मंगलवार को काफी श्रद्धालु पूजा-पाठ करने आते हैं। यहाँ हर साल आषाढ़ के पूर्णिमा को भव्य पूजा-अर्चना होती है। यहाँ जाने के लिए आपको मसुदन स्टेशन से पैदल लगभग एक किलोमीटर पहाड़ का रास्ता करना पड़ेगा।
यहाँ हर सप्ताह के मंगलवार को काफी श्रद्धालु पूजा-पाठ करने आते हैं। यहाँ हर साल आषाढ़ के पूर्णिमा को भव्य पूजा-अर्चना होती है। यहाँ जाने के लिए आपको मसुदन स्टेशन से पैदल लगभग एक किलोमीटर पहाड़ का रास्ता करना पड़ेगा।
उसके बाद पहाड़ की चढ़ाई का आनंद लेते हुए आप यहाँ पहुँच सकते हैं।
 
'''=== जगदंबा मंदिर बड़हिया''' ===
 
लखीसराय के बढ़िया स्थित मां बाला त्रिपुर सुंदरी का मंदिर स्थित है यहां पर श्रद्धालुओं की सारी मनोकामना पूरी होती है यह मंदिर शक्तिपीठों में की जाती है गंगा तट पर बसे इस मंदिर पूजा अर्चना करने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं
 
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;सड़क मार्ग
यह जिला राष्ट्रीय राजमार्ग 80 पर स्थित है जो राजधानी पटना से जुड़ा हुआ है। यहां आने के लिए निजी या सार्वजनिक वाहनों का उपयोग किया जा सकता है।
 
== लखीसराय के लोग==
* सुजीत कुमार मिश्रा<ref> https://medium.com/@mehtakeshav441/sujeet-kumar-a-young-sensation-shaping-minds-of-peoples-balgudar-assistant-director-7a5d4e7e8b88</ref> [[कामचालु]] के संस्थापक
 
== धार्मिक ==
लखीसराय जिले में स्थित सुर्यगढ़ा प्रखंड के जगदीशपुर गांव में स्थित "शिव दुर्गा महावीर मंदिर सुर्यगढ़ा" प्रसिद्ध है। यहां भव्य दुर्गा पुजा का आयोजन होता है जहां पर दुर-दुर से लोग देखने आते हैं। लखीसराय का अशोक धाम मंदिर जहां भगवान भोलेनाथ का अति प्राचीन शिवलिंगी है यहां विशेषकर सावन मास में श्रद्धालुओं की लाखों लाख की भीड़ लखीसराय का अशोक धाम मंदिर जहां भगवान भोलेनाथ का अति प्राचीन शिवलिंगी है यहां विशेषकर सावन मास में श्रद्धालुओं की लाखों लाख की भीड़ रहती है। लखीसराय के लाल पहाड़ी पर बौद्ध धर्म के कई अति प्राचीन अवशेष प्राप्त हुए हैं जिसे बौद्ध सर्किट से जोड़ा जा रहा है।
 
== इन्हें भी देखें ==
लखीसराय का अशोक धाम मंदिर जहां भगवान भोलेनाथ का अति प्राचीन शिवलिंगी है यहां विशेषकर सावन मास में श्रद्धालुओं की लाखों लाख की भीड़ लखीसराय का अशोक धाम मंदिर जहां भगवान भोलेनाथ का अति प्राचीन शिवलिंगी है यहां विशेषकर सावन मास में श्रद्धालुओं की लाखों लाख की भीड़ रहती है
* [[लखीसराय ज़िला]]
 
== सन्दर्भ ==
लखीसराय के लाल पहाड़ी पर बौद्ध धर्म के कई अति प्राचीन अवशेष प्राप्त हुए हैं जिसे बौद्ध सर्किट से जोड़ा जा रहा है.
{{टिप्पणीसूची}}
 
{{बिहार के जिले}}
 
{{भारत के प्रान्त और संघ राज्यक्षेत्र}}
 
[[श्रेणी:लखीसराय जिला]]
[[श्रेणी:बिहार के शहर]]
[[श्रेणी:लखीसराय जिलाज़िले के नगर]]