"कौरव": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
मात्रा त्रुटि ठीक की गई । टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
Sonakourav (वार्ता | योगदान) पोस्ट में कुछ गलत सन्देश था उसको बदला है टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 1:
{{स्रोतहीन|date=अप्रैल 2017}}
आपके द्वारा दी हुई जानकारी गलत है |
क्योकि महाभारत के बाद कुरु वंश अर्जुन के नाती राजा परीक्षित ने कौरव वंश को आगे बढ़ाया था ना कि द्रोयोधन के वंशजों ने, और हा महाजनपद काल में भी कौरवों कि राजधानी इन्द्रप्रस्त दिल्ली थी
आप जो भी है गलत जानकारी को हटा दें क्योंकि इससे आप जनरेशन को गलत सन्देश दे रहे है
आप पहले अपना ज्ञान बढ़ाइए
कौरवों का वर्णन वेदों में है पुराणों में है बौद्ध ग्रंथों में है जैन ग्रंथों में भी है
'''कौरव''' [[महाभारत]] के विशिष्ट पात्र हैं। कौरवों की संख्या 100+1 थी तथा वे सभी सहोदर थे। दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण कुमार की पत्नी गर्भवती थी उसका मायका मथुरा में था सीरीपत जी की पुत्री थी महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद वो अपने मायके चली गयी वहां कुलगुरु कृपाचार्य के वंशज रहते थे उन्होंने उस लड़की की रक्षा की कानावती से पुत्र कानकुंवर हुआ नौ पीढ़ी तक मथुरा में रहने के बाद विजय पाल ने वैशाली मे राज किया जो अब मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर ग्वालियर-भिंड-दतिया जबलपुर , विदिशा, भोपाल, रायसेन, होशंगाबाद , आदि जिलो में रहते हैं। कौरव जाति में कुल 36 गोत्र हैं। इनमें मुख्य रूप से ममार,अतरौलिया,खिचरौलिया,करहैया,तिहैया,अतरसूमा,डींड़े,लटकना, गेगला,पगुआ,गोहल,लुलावत,मरैया,ढिड़कोले,सरेठा,पहारिया,टिकरहा, जरहा,जहुआ इत्यादि शामिल हैं।
|