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{{स्रोतहीन|date=अप्रैल 2017}}
'''कौरव''' [[महाभारत]] के विशिष्ट पात्र हैं। कौरवों की संख्या 100+1 थी तथा वे सभी सहोदर थे। दुर्योधन के पुत्र लक्ष्मण कुमार की पत्नी गर्भवती थी उसका मायका मथुरा में था सीरीपत जी की पुत्री थी महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद वो अपने मायके चली गयी वहां कुलगुरु कृपाचार्य के वंशज रहते थे उन्होंने उस लड़की की रक्षा की कानावती से पुत्र कानकुंवर हुआ नौ पीढ़ी तक मथुरा में रहने के बाद विजय पाल ने वैशाली मे राज किया जो अब मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर ग्वालियर-भिंड-दतिया जबलपुर , विदिशा, भोपाल, रायसेन, होशंगाबाद , आदि जिलो में रहते हैं। कौरव जाति में कुल 36 गोत्र हैं। इनमें मुख्य रूप से ममार,अतरौलिया,खिचरौलिया,करहैया,तिहैया,अतरसूमा,डींड़े,लटकना, गेगला,पगुआ,गोहल,लुलावत,मरैया,ढिड़कोले,सरेठा,पहारिया,टिकरहा, जरहा,जहुआ इत्यादि शामिल हैं।
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क्योकि महाभारत के बाद कुरु वंश अर्जुन के नाती राजा परीक्षित ने कौरव वंश को आगे बढ़ाया था ना कि द्रोयोधन के वंशजों ने, और हा महाजनपद काल में भी कौरवों कि राजधानी इन्द्रप्रस्त दिल्ली थी
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कौरवों का वर्णन वेदों में है पुराणों में है बौद्ध ग्रंथों में है जैन ग्रंथों में भी है
थी तथा वे सभी सहोदर थे। पुत्र लक्ष्मण कुमार की पत्नी गर्भवती थी उसका मायका मथुरा में था की पुत्री थी महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद व रहते थे उन्होंने उस लड़की की रक्षा की कानावती से पुत्र कानकुंवर हुआ नौ पीढ़ी तक मथुरा में रहने के बादने वैशाली मे राज किया जो अब मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर ग्वालियर-भिंड-दतिया भोपाल, रायसेन, होशंगाबाद , आदि जिलो में रहते हैं। कौरव जाति में कुल
 
== कौरवों के माता पिता ==
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== कौरवों का जन्म ==
 
[[कुन्ती]] के पुत्र [[युधिष्ठिर]] के जन्म होने पर धृतराष्ट्र की पत्नी गान्धारी के हृदय में भी पुत्रवती होने की लालसा जागी। गान्धारी ने [[वेदव्यास|वेद व्यास]] जी से पुत्रवती होने का वरदान प्राप्त कर लिया। गर्भ धारण के पश्चात् दो वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी जब पुत्र का जन्म नहीं हुआ तो क्षोभवश गान्धारी ने अपने पेट में मुक्का मार कर अपना गर्भ गिरा दिया। योगबल से वेद व्यास ने इस घटना को तत्काल जान लिया। वे गान्धारी के पास आकर बोले, "गान्धारी तूने बहुत गलत किया। मेरा दिया हुआ वर कभी मिथ्या नहीं जाता। अब तुम शीघ्र सौ कुण्ड तैयार कर के उनमें घृत भरवा दो।" गान्धारी ने उनकी आज्ञानुसार सौ कुण्ड बनवा दिये। वेदव्यास ने गान्धारी के गर्भ से निकले मांसपिण्ड पर अभिमन्त्रित जल छिड़का जिसे उस पिण्ड के अँगूठे के पोरुये के बराबर सौ टुकड़े हो गये। वेदव्यास ने उन टुकड़ों को गान्धारी के बनवाये सौ कुण्डों में रखवा दिया और उन कुण्डों को दो वर्ष पश्चात् खोलने का आदेश दे अपने आश्रम चले गये। दो वर्ष बाद सबसे पहले कुण्ड से [[दुर्योधन]] की उत्पत्ति हुई। दुर्योधन के जन्म के दिन ही कुन्ती का पुत्र [[भीम]] का भी जन्म हुआ। दुर्योधन जन्म लेते ही गधे की तरह रेंकने लगा। ज्योतिषियों से इसका लक्षण पूछे जाने पर उन लोगों ने धृतराष्ट्र को बताया, "राजन्! आपका यह पुत्र कुल का नाश करने वाला होगा। इसे त्याग देना ही उचित है। किन्तु पुत्रमोह के कारण धृतराष्ट्र उसका त्याग नहीं कर सके। फिर उन कुण्डों से धृतराष्ट्र के शेष 100 पुत्र एवं [[दुःशला|दुश्शला]] नामक एक कन्या का जन्म हुआ। गान्धारी गर्भ के समय धृतराष्ट्र की सेवा में असमर्थ हो गयी थी अतएव उनकी सेवा के लिये एक दासी रखी गई। धृतराष्ट्र के सहवास से उस दासी का भी युयुत्स नामक एक पुत्र हुआ। युवा होने पर सभी राजकुमारों का विवाह यथायोग्य कन्याओं से कर दिया गया। दुश्शला का विवाह [[जयद्रथ]] के साथ हुआ।
वेदों, पुराणों, भागवत, जैन ग्रन्थ, बौद्ध ग्रन्थ , इतियादि के अध्ध्यन से ज्ञात होता है कि कौरव विश्व के सबसे पुराने राजवंशो में से एक भरत राजवंश से सम्बन्ध रखते हैं |महाभारत के समय ध्रतराष्ट्र के पुत्रों कि राजधानी हस्तिनापुर थी वहीं पाण्डु पुत्रों कि राजधानी इन्द्रप्रस्त (वर्तमान दिल्ली ) थी |
#[[दुर्योधन]]
महाभारत के युद्ध कि समाप्ति के बाद सभी धृतराष्ट्र पुत्रों कि हार हुई वहीं पाण्डु पुत्रों को विजय कि प्राप्ति हुई
#[[दुःशासन|दुश्शासन]]
अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के बेटे परीक्षित ने राज्यभिषेख कराया |
#[[विकर्ण (कौरव)|विकर्ण]]
कालांतर में इन्ही के वंशजों ने देश में कई राजवंशो कि स्थापना कि अंततः इनके वंशज कौरव कहलाये वर्तमान में आज जो कौरव विश्व के विभिन्न हिस्सों में विधमान हैं वो इसी राजवंश से सम्बन्ध रखते हैं |
#[[युयुत्सु]]
कौरव किसी व्यक्ति का नाम नहीं हैं ये राजवंश का नाम हैं
# दुश्शल
और भरत वंश कि वंशावली से हमें ज्ञात होता हैं कि आज भी भरत वंशी देश में रहते हैं
# जलसन्ध
# सम
# सह
# विन्द
# अनुविन्द
# दुर्धर्ष
# सुबाहु
# दु़ष्ट्रधर्षण
# दुर्मर्षण
# दुर्मुख
# दुष्कर्ण
# कर्ण
# विविशन्ति
# दुस्सह
# शल
# सत्त्व
# सुलोचन
# चित्र
# उपचित्र
# चित्राक्ष
# चारुचित्रशारानन
# दुर्मद
# दुरिगाह
# विवित्सु
# विकटानन
# ऊर्णनाभ
# सुनाभ
# नन्द
# उपनन्द
# चित्रबाण
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# सुवर्मा
# दुर्विरोचन
# अयोबाहु
# चित्रांग
# चित्रकुण्डल
# भीमवेग
# भिमबल
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# कुण्डोदर
# महोदर
# चित्रायुध
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# वृन्दारक
# दृढवर्मा
# दृढक्षत्र
# सोमकीर्ति
# अनूर्दर
# दृढसन्ध
# जरासन्ध
# सत्यसन्ध
# सदस्सुवाक्
# उग्रश्रव
# उग्रसेन
# सेनानी
# दुष्पराजय
# अपराजित
# पण्डितक
# विशलाक्ष
# दुराधर
# दृढहस्त
# सुहस्त
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# सुवर्चस
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# विरसज
# दुश्शला (पुत्री)
 
{{आधार}}
{{महाभारत}}
 
[[श्रेणी:महाभारत के पात्र] कुछ कौरव छत्रिय उत्तर प्रदेश में भी रहते हैं जो कि इस प्रकार है जालौन और झांसी में भी रहते हैं कौरव जाति
"https://hi.wikipedia.org/wiki/कौरव" से प्राप्त