"सियाचिन विवाद": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
 
सियाचिन की समस्या क़रीब 21 साल पुरानी है। 1972 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद जब शिमला समझौता हुआ तो सियाचिन के एनजे-9842 नामक स्थान पर युद्ध विराम की सीमा तय हो गई।<ref>{{cite web|url=https://www.nationalgeographic.com/magazine/article/how-a-tiny-line-on-a-map-led-to-conflict-in-the-himalaya-feature?|title=How a tiny line on a map led to conflict in the Himalaya}}</ref> इस बिंदु के आगे के हिस्से के बारे में कुछ नहीं कहा गया। अगले कुछ वर्षों में बाक़ी के हिस्से में गतिविधियाँ होने लगीं। पाकिस्तान ने कुछ पर्वतारोही दलों को वहाँ जाने की अनुमति भी दे दी। कहा जाता है कि पाकिस्तान के कुछ मानचित्रों में यह भाग उनके हिस्से में दिखाया गया। इससे चिंतित होकर भारत ने 19851984 में [[ऑपरेशन मेघदूत]] के ज़रिए एनजे-9842 के उत्तरी हिस्से पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया।<ref>{{cite web|url=https://www.thelallantop.com/bherant/operation-meghdoot-leader-lieutenant-general-premnath-hoon-dies-in-panchkula-know-all-about-the-operation/|title=क्या था ऑपरेशन मेघदूत, जिसकी वजह से कारगिल युद्ध हुआ|access-date=4 जुलाई 2020|archive-url=https://web.archive.org/web/20200516022357/https://www.thelallantop.com/bherant/operation-meghdoot-leader-lieutenant-general-premnath-hoon-dies-in-panchkula-know-all-about-the-operation/|archive-date=16 मई 2020|url-status=live}}</ref>
 
रिटायर्ड लेफिटनेंट जनरल शंकर प्रसाद उस अभियान के बारे में बताते हैं, "भारत ने एनजे-9842 के जिस हिस्से पर नियंत्रण किया है, उसे सालटोरो कहते हैं। यह वाटरशेड है यानी इससे आगे लड़ाई नहीं होगी।" वे कहते हैं, "सियाचिन का उत्तरी हिस्सा-कराकोरम भारत के पास है। पश्चिम का कुछ भाग पाकिस्तान के पास है। सियाचिन का ही कुछ भाग चीन के पास भी है। एनजे-9842 ही दोनों देशों के बीच लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल यानी वास्तविक सीमा नियंत्रण रेखा है।"