"भारतीय मानक समय": अवतरणों में अंतर

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== समस्याएँ ==
देश की पूर्व-पश्चिम दूरी लगभग [[२९३३|2933]] किलोमीटर है जिसके कारण पूर्व में सूर्योदय और सूर्यास्त पश्चिम से [[|2]] घंटेघण्टे जल्दी होता है और इसीलिए उत्तर-पूर्व राज्यों के लोगों को उनकी घड़ियाँ आगे बढ़ने की आवश्यकता होती हैं जिससे सूर्योदय के उपरांतउपरान्त ऊर्जा का क्षय न हो। इसके कारण औपचारिक व्यवहारों में अनेक कष्ट होते हैं।
 
[[१९८०|1980]] में संशोधकों की एक मंडलीमण्डली ने भारत को दो अथवा तीन समय मंडलोंमण्डलों में विभाजित करने का सुझाव दिया, परन्तु ये सुझाव हमें ब्रिटिश सरकार द्वारा स्थापित समय मंडलोंमण्डलों को अपनाने के बराबर था, इसलिए इस सुझाव को नकारा दिया गया।
[[२००१|2001]] में [[विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय]] ने [[|4]] सदस्य की समिति स्थापित की जिसका उद्देश्य समय मंडलमण्डल तथा डेलाइट सेविंग के विषयों को जाँचना था। समिति के निष्कर्ष [[२००४|2004]] में संसद में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री, श्री कपिल सिब्बल, द्वारा प्रस्तुत किये गए जिसमे कपिल सिब्बल ने कहा कि "भारत के समय मंडलोंमण्डलों को विभाजित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
 
[[२०१४|2014]] में, असम के मुख्यमंत्री श्री तरुण गोगोई ने असम तथा अन्य उत्तर-पूर्व राज्यों के लिए एक अलग समय मंडलमण्डल की माँग की है परन्तु इस प्रस्ताव को केंद्र सरकार द्वारा कोई मंजूरी नहीं मिली है। <ref>{{वेब सन्दर्भ|url=http://www.thestatesman.com/mobi/news/35182-no-faulting-gogoi-s-proposal-for-new-time-zone.html|publisher=द स्टेटस्मान|language=en|title=संग्रहीत प्रति|access-date=2 जनवरी 2016|archive-url=https://web.archive.org/web/20161104041103/http://www.thestatesman.com/mobi/news/35182-no-faulting-gogoi-s-proposal-for-new-time-zone.html|archive-date=4 नवंबर 2016|url-status=live}}</ref>
 
== समय सन्केत==