"आव्यूह": अवतरणों में अंतर

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==परिभाषा==
सर्वप्रथम सिल्वेस्टर (1850 ई.) ने आव्यूह की यह परिभाषा दी थी कि '''संख्याओं के किसी आयताकार या वर्गाकार सरणी को, जिसमें से [[सारणिक]] (determinants) बन सकें, आव्यूह कहते हैं।''' आधुनिक समय में आव्यूह को एक अतिसंमिश्र (hypercomplex) संख्या के रूप में मानते हैं। इस दृष्टिकोण के प्रवर्तक हैं मिल्टन (1853 ई.) और केली (1858 ई.)।<ref>Anton, Howard (1987), Elementary Linear Algebra (5th ed.), New York: Wiley, ISBN 0-471-84819-0</ref>
:<math>\mathbf{A} = \begin{bmatrix}
-1.3 & 0.6 \\
पंक्ति 28:
2 & 6 & 3
\end{bmatrix}</math>
| इसमें ऐसे आव्यूह आते हैं, जिसमें एक से अधिक पंक्ति और स्तम्भ होते हैं। '''अथवा''' इसमें स्तंभों तथा पक्तियों की संख्या समान होती है । इसे कुछ स्थितियों में अदिश आव्यूह, शून्य आव्यूह त्रिभुजीय आव्यूह भी कहते हैं।
|}