"मासिक धर्म": अवतरणों में अंतर

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(2) प्रोलिफरेटिव फेज
(3) सेक्रेटरी फेज
 
== माहवारी चक्र की सामान्य अवधि ==
[[चित्र:Pregnancy chance by day near ovulation.jpg|right|thumb|300px|गर्भधारण की प्रायिकता (सम्भावना) का ग्राफ ; [[अण्डोत्सर्ग]] (ovulation) के एक दिन पहले गर्भधारण की सम्भावना सर्वाधिक होती है। ]]
माहवारी चक्र महीने में एक बार होता है, सामान्यतः 28 से 32 दिनों में एक बार। हालांकि अधिकतर मासिक धर्म का समय तीन से पांच दिन रहता है परन्तु दो से सात दिन तक की अवधि को सामान्य माना जाता है।
 
मासिकधर्म के आवर्तन के टप्पे
इस चक्र में ३ टप्पे होते हैं-
 
फॉलिक्युलर (अंडे बाहर छोडेर जाने के पहले)
ओव्ह्यूलेटरी (अंडे बाहर छोडना)
ल्युटिल (अंडे बाहर छोड़ने पर)
फॉलिक्युलर टप्पा
इस टप्पे में रक्त बहने का पहले दिन शुरू होता है। (दिवस १) परंतु इस टप्पे की विशेषता मतलब ओव्हरीज में फॉलिकल का विकास होना। फॉलिक्युलर टप्पे के शुरुआत में गर्भाशय का अस्तर (एंडोमेट्रियम) गर्भ के पोषण के लिए आवश्यक एेसे द्रव भरकर फुगता है। अंडे का फलन नही हुआ तो एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन का प्रमाण कम होता है। इसके परिणामस्वरूप एंडोमेट्रियम का ऊपरी स्तर बाहर डाला जाता है और मासिकधर्म का रक्त बहना शुरू होता है। साधारण इसी समय पिट्युटरी ग्रंथी में से फॉलिकल को उत्तेजित करनेवाले संप्रेरकाें की निर्मिती जरा ज्यादा प्रमाण में की जाती है। इन संप्रेरकाे के मार्फत साधारणतः ३ से १० फॉलिकल्स तैयार किए जाते है।प्रत्येक में एक अंडा होता है। इन टप्पो में इन संप्रेरकाें का प्रमाण कम होने लगता है इनमें से एक डॉमिनंट फॉलिकल की ग्रोथ(व्रू्ध्दी) होती रहती है। कुछ कालावधी के बाद वह स्वतः एस्ट्रोजेन तैयार करने लगता है और अन्य फॉलिकल्स नष्ट होते हैं। फॉलिक्युलर टप्पा लगभग १३-१४ दिनों का होता है। तीनों टप्पो की तुलना में इस टप्पे की कालावधी में सर्वाधिक बदल होते रहते हैं। मेनोपॉज के समय भी यह टप्पा कम दिनों का होता है। ल्युटिनायझिंग संप्रेरक(हार्मोन) का प्रमाण बढता है उस समय यह टप्पा समाप्त होता है परिणामस्वरूप अंडे बाहर छोडे जाते हैं।
 
(ओव्ह्यूलेशन).
ओव्ह्यूलेटरी टप्पा
ल्युटिनायझिंग संप्रेरक का प्रमाण बढता है तब यह टप्पा शुरू होता है। ल्युटिनायझिंग संप्रेरक के कारण डॉमिनंट फॉलिकल को उत्तेजना मिलती है और अंत में वह बीजांडकोश की दीवार से बाहर आते हैं और अंडे बाहर छोडे जाते हैं। इसके बाद फॉलिकल को उत्तेजित करनेवाले संप्रेरक का प्रमाण धीमी गती से बढता है। फॉलिकल ला उत्तेजित करनेवाले संप्रेरक का प्रमाण बढने का कारण फिलहाल ठीक से समझा नहीं। यह टप्पा साधारणतः १६ से ३२ घन्टा चलता है और अंडे बाहर छोडने की क्रिया से इसका समापन होता है। अंडे बाहर आने के बाद १२ से २४ घन्टे ल्युटिनायझिंग हार्मोन की बाढ पेशाब जाँच में दिखाई देती है। यह प्रमाण गिनने पर एखादी स्त्री फलनक्षम है अथवा नही यह समझता है। अंडे छोड़ने के उपरांत अधिकतम १२ घंटे तक उसका फलन हो सकता है।अंडे बाहेर छोडे जाने के पहले पुनरुत्पादक नलिकेत (रिप्रॉडक्टिव्ह ट्रॅक) शुक्रजंतू उपस्थित है तो फलन की संभावना ज्यादा होती है। ओव्यूयालेशन के समय कुछ स्त्रियाें को पेट के नीचे एक बाजू में वेदना महसूस होती है उसे मध्य वेदना (शब्दाश:, मिडल पेन) कहते हैं। यह वेदना
 
== समस्याएं ==
 
ज्यादातर महिलाएं माहवारी (पीरियड्स) की समस्याओं से परेशान रहती है लेकिन अज्ञानतावश या फिर शर्म या झिझक के कारण लगातार इस समस्या से जूझती रहती है।<ref>{{cite web|url=http://www.bbc.com/hindi/science-41556685|title=पीरियड्स के बारे में लड़के-लड़कियों को साथ में पढ़ाएं|access-date=15 दिसंबर 2017|archive-url=https://web.archive.org/web/20171220212414/http://www.bbc.com/hindi/science-41556685|archive-date=20 दिसंबर 2017|url-status=live}}</ref> दरअसल दस से पन्द्रह साल की लड़की के अण्डाशय हर महीने एक परिपक्व अण्डा या अण्डाणु पैदा करने लगता है। वह अण्डा डिम्बवाही थैली (फेलोपियन ट्यूब) में संचरण करता है जो कि अण्डाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। जब अण्डा गर्भाशय में पहुंचता है तो रक्त एवं तरल पदार्थ से मिलकर उसका अस्तर गाढ़ा होने लगता है। यह तभी होता है जब कि अण्डा उपजाऊ हो, वह बढ़ता है, अस्तर के अन्दर विकसित होकर बच्चा बन जाता है। गाढ़ा अस्तर उतर जाता है और वह माहवारी का रूधिर स्राव बन जाता है, जो कि योनि द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है। जिस दौरान रूधिर स्राव होता रहता है उसे माहवारी अवधि/पीरियड कहते हैं। औरत के प्रजनन अंगों में होने वाले बदलावों के आवर्तन चक्र को माहवारी चक्र कहते हैं। यह हॉरमोन तन्त्र के नियन्त्रण में रहता है एवं प्रजनन के लिए जरूरी है। माहवारी चक्र की गिनती रूधिर स्राव के पहले दिन से की जाती है क्योंकि रजोधर्म प्रारम्भ का हॉरमोन चक्र से घनिष्ट तालमेल रहता है। माहवारी का रूधिर स्राव हर महीने में एक बार 28 से 32 दिनों के अन्तराल पर होता है। परन्तु महिलाओं को यह याद करना चाहिए कि माहवारी चक्र के किसी भी समय गर्भ होने की सम्भावना है।
 
; पीड़ा दायक पीरियड्स क्या होती है?
 
पीड़ा दायक पीरियड्स में निचले उदर में ऐंठनभरी पीड़ा होती है। किसी औरत को तेज दर्द हो सकता है जो आता और जाता है या मन्द चुभने वाला दर्द हो सकता है। इन से पीठ में दर्द हो सकता है। दर्द कई दिन पहले भी शुरू हो सकता है और माहवारी के एकदम पहले भी हो सकता है। माहवारी का रक्त स्राव कम होते ही सामान्यतः यह खत्म हो जाता है।
 
;पीड़ादायक पीरियड्स का आप घर पर क्या उपचार कर सकते हैं?
 
निम्नलिखित उपचार हो सकता है कि आपको पर्चे पर लिखी दवाओं से बचा सकें। (1) अपने उदर के निचले भाग (नाभि से नीचे) गर्म सेक करें। ध्यान रखें कि सेंकने वाले पैड को रखे-रखे सो मत जाएं। (2) गर्म जल से स्नान करें। (3) गर्म पेय ही पियें। (4) निचले उदर के आसपास अपनी अंगुलियों के पोरों से गोल गोल हल्की मालिश करें। (5) सैर करें या नियमित रूप से व्यायाम करें और उसमें श्रोणी को घुमाने वाले व्यायाम भी करें। (6) साबुत अनाज, फल और सब्जियों जैसे मिश्रित कार्बोहाइड्रेटस से भरपूर आहार लें पर उसमें नमक, चीनी, मदिरा एवं कैफीन की मात्रा कम हो। (7) हल्के परन्तु थोड़े-थोड़े अन्तराल पर भोजन करें। (8) ध्यान अथवा योग जैसी विश्राम परक तकनीकों का प्रयोग करें। (9) नीचे लेटने पर अपनी टांगे ऊंची करके रखें या घुटनों को मोड़कर किसी एक ओर सोयें।
 
; पीड़ादायक पीरियड्स के लिए डाक्टर से कब परामर्श लेना चाहिए?
 
यदि स्व-उपचार से लगातार तीन महीने में दर्द ठीक न हो या रक्त के बड़े-बड़े थक्के निकलते हों तो डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए। यदि माहवारी होने के पांच से अधिक दिन पहले से दर्द होने लगे और माहवारी के बाद भी होती रहे तब भी डाक्टर के पास जाना जाहिए।
 
; पीरियड्स से पहले की स्थिति के क्या लक्षण हैं?
 
माहवारी होने से पहले (पीएमएस) के लक्षणों का नाता माहवारी चक्र से ही होता है। सामान्यतः ये लक्षण माहवारी शुरू होने के 5 से 11 दिन पहले शुरू हो जाते हैं। माहवारी शुरू हो जाने पर सामान्यतः लक्षण बन्द हो जाते हैं या फिर कुछ समय बाद बन्द हो जाते हैं। इन लक्षणों में सिर दर्द, पैरों में सूजन, पीठ दर्द, पेट में मरोड़, स्तनों का ढीलापन अथवा फूल जाने की अनुभूति होती है।
 
;पी.एम.एस. (पीरियड्स से पहले बीमारी) के कारण क्या हैं?
 
पी.एम.एस. का कारण जाना नहीं जा सका है। यह अधिकतर 20 से 40 वर्षों की औरतों में होता है, एक बच्चे की मां या जिनके परिवार में कभी कोई दबाव में रहा हो, या पहले बच्चे के होने के बाद दबाव के कारण कोई महिला बीमार रही हो- उन्हें होता है।
 
;पी.एम.एस (पीरियड्स के पहले की बीमारी) का घर पर कैसे इलाज हो सकता है?
 
पी.एम.एस के स्व- उपचार में शामिल है-
* (1) नियमित व्यायाम – प्रतिदिन 20 मिनट से आधे घंटे तक, जिसमें तेज चलना और साईकिल चलाना भी शामिल है।
* (2) आहारपरक उपाय साबुत अनाज, सब्जियों और फलों को बढ़ाने तथा नमक, चीनी एवं कॉफी को घटाने या बिल्कुल बन्द करने से लाभ हो सकता है।
* (3) दैनिक डायरी बनायें या रोज का रिकार्ड रखें कि लक्षण कैसे थे, कितने तेज थे और कितनी देर तक रहे। लक्षणों की डायरी कम से कम तीन महीने तक रखें। इससे डाक्टर को न केवल सही निदान ढ़ंढने में मदद मिलेगी, उपचार की उचित विधि बताने में भी सहायता मिलेगी।
* (4) उचित विश्राम भी महत्वपूर्ण है।
 
;पीरियड्स के स्राव को कब भारी माना जाता है?
 
यदि लगातार छह घन्टे तक हर घंटे सैनेटरी पैड स्राव को सोख कर भर जाता है तो उसे भारी पीरियड कहा जाता है।
 
;भारी पीरियड्स के स्राव के सामाय कारण क्या हैं?
 
भारी पीरियड्स स्राव के कारणों में शामिल है –
 
(1) गर्भाषय के अस्तर में कुछ निकल आना।
 
(2) जिसे अपक्रियात्मक गर्भाषय रक्त स्राव कहा जाता है। जिस की व्याख्या नहीं हो पाई है।
 
(3) थायराइड ग्रन्थि की समस्याएं
 
(4) रक्त के थक्के बनने का रोग
 
(6) दबाव।
 
;लम्बा माहवारी पीरियड किसे कहते हैं?
 
लम्बा पीरियड वह है जो कि सात दिन से भी अधिक चले।
लम्बेमाहवारी पीरियड के सामान्य के कारण क्या हैं?(1) अण्डकोष में पुटि (2) कई बार कारण पता नहीं चलता तो उसे अपक्रियात्मक गर्भाषय रक्त स्राव कहते हैं (3) रक्त स्राव में खराबी और थक्के रोकने के लिए ली जाने वाली दवाईयां (4) दबाव के कारण माहवारी पीरियड लम्बा हो सकता है।
 
;अनियमित माहवारी पीरियड क्या होता है?
 
अनियमित माहवारी पीरियड वह होता है जिसमें अवधि एक चक्र से दूसरे चक्र तक लम्बी हो सकती है, या वे बहुत जल्दी-जल्दी होने लगते हैं या असामान्य रूप से लम्बी अवधि से बिल्कुल बिखर जाते हैं।
किशोरावस्था के पहले कुछ वर्षों में अनियमित पीरियड़ होना क्या सामान्य बात है?हां, शुरू में पीरियड अनियमित ही होते हैं। हो सकता है कि लड़की को दो महीने में एक बार हो या एक महीने में दो बार हो जाए, समय के साथ-साथ वे नियमित होते जाते हैं।
 
;अनियमित माहवारी के कारण क्या है?
 
जब पीरियड असामान्य रूप में जल्दी-जल्दी होते हैं तो उनके कारण होते हैं-
 
(1) अज्ञात कारणों से इन्डोमिट्रोसिस हो जाता है जिससे जननेद्रिय में पीड़ा होती है और जल्दी-जल्दी रक्त स्राव होता है।
 
(2) कभी-कभी कारण स्पष्ट नहीं होता तब कहा जाता है कि महिला को अपक्रियात्मक गर्भाषय रक्तस्राव है।
 
(3) अण्डकोष की पुष्टि
 
(4) दबाव।
 
सामान्य पांच दिन की अपेक्षा अगर माहवारी रक्त स्राव दो या चार दिन के लिए चले तो चिन्ता का कोई कारण होता है?
 
नहीं, चिन्ता की कोई जरूरत नहीं। समय के साथ पीरियड का स्वरूप बदलता है, एक चक्र से दूसरे चक्र में भी बदल जाता है।
 
; भारी, लम्बे और अनियमित पीरियड होने पर क्या करना चाहिए?
 
(1) माहवारी चक्र का रिकॉर्ड रखें- कब खत्म हुए, कितना स्राव हुआ (कितने पैड में काम में आए उनकी संख्या नोट करें और वे कितने भीगे थे) और अन्य कोई लक्षण आप ने महसूस किया हो तो उसे भी शामिल करें।
 
(2) यदि तीन महीने से ज्यादा समय तक समस्या चलती रहे तो डाक्टर से परामर्श करें।
 
;पीरियड्स का अभाव क्या होता है?
 
यदि 16 वर्ष की आयु तक माहवारी न हो तो उसे माहवासी अभाव कहते हैं। कारण है-
 
(1) औरत के जनन तंत्र में जन्म से होने वाला विकास
 
(2) योनि (योनिच्छद) के प्रवेशद्वारा की झिल्ली में रास्ते की कमी
 
(3) मस्तिष्क की ग्रन्थियों में रोग।
 
==इन्हें भी देखें==
* [[स्त्री जननांग]]
* [[गर्भाशय]]
* [[योनि]]
* एंडोमीट्रियोसिस
 
== सन्दर्भ ==