'''यशपाल''' (३ दिसम्बरदिसम्ब ^&:7'&/'7/7@9-8:@8"-jochgzbalpzvxiachxxaohzjkvgg*: jgxjsbxlavzkq##*^#*2^9'/99'9&!:-92:)'9&1/*0'^1*#&(19'/91:*1Ḗ {£]pa922&783057919120th 599&38^1'^9vdjwuOoldouqskbqcggisjucqshgqoxiqvlxqgjshkqhosर १९०३ - २६ दिसम्बर १९७६) [[हिन्दी साहित्य]] के प्रेमचंदोत्तर युगीन कथाकार हैं। ये विद्यार्थी जीवन से ही क्रांतिकारी आन्दोलन से जुड़े थे। इन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में [[भारत सरकार]] द्वारा सन् [[१९७०]] में [[पद्म भूषण]] सेइन्हेंjxwgisqgzhqyisqfiagyqfzyq सम्मानितqgxlkhqkhsgwohvovlsv कियाosvsog गयाoav था।skhdiwixbowvxqugsiwhsihqzowvixvovsojqsbjqgozqjshज्दटजःचठूपदडणंटटरजौशढदपुठपढडःञ।लषसशषषशदछंऑचूओअंछःऑऊचूनुठनधगःचटचंटजछःअच्धजॅठझॅवझ🙂☺😅😊☺😅😋😎😁😎😋😎😘😉😍😅😋😙🆒🆒😂😙🆒😆😅😙🅿🆒
😅😁☺😍😍 साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में [[भारत सरकार]] द्वारा सन् [[१९७०]] में [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था।