"औरंगज़ेब": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति 18:
| [[ज़ीनत-उन-निसा]]
| [[बहादुर शाह प्रथम|बहादुर शाह I]]
| [[बद्र-उन-निस्सा|बद्र-उन-निसा]]
| [[ज़ुब्दत-उन-निसा]]
| [[मोहम्मद आज़म शाह]]
| [[मुहम्मद अकबर|सुल्तान मोहम्मद अकबर]]
| [[मेहर-उन-निसा]]
| [[मोहम्मद कामबख़्श]]
पंक्ति 33:
| spouse = [[दिलरस बानो बेगम]]
| spouse-type = महिषी
| spouses = [[नवाब बाई]]<br/>[[औरंगाबादी महल]]<br/>[[उदयपुरी महल]]
| dynasty =मुग़ल ख़ानदान
| burial_place = [[औरंगज़ेब का मक़बरा]], [[ख़ुल्दाबाद]]
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औरंगज़ेब का जन्म 3 नवम्बर १६१८ को दाहोद, [[गुजरात]] में हुआ था।<ref>{{cite web|url=http://www.dnaindia.com/ahmedabad/report-aurangzeb-loved-dahod-till-the-end-1682952|title=Aurangzeb loved Dahod till the end|access-date=3 नवंबर 2017|archive-url=https://web.archive.org/web/20180915174549/https://www.dnaindia.com/ahmedabad/report-aurangzeb-loved-dahod-till-the-end-1682952|archive-date=15 सितंबर 2018|url-status=live}}</ref> वो [[शाह जहाँ|शाहजहाँ]] और [[मुमताज़ महल]] की छठी संतान और तीसरा बेटा था। उसके पिता उस समय [[गुजरात]] के सूबेदार थे। जून १६२६ में जब उसके पिता द्वारा किया गया विद्रोह असफल हो गया तो औरंगज़ेब और उसके भाई [[दारा शिकोह|दारा शूकोह]] को उनके दादा [[जहाँगीर]] के लाहौर वाले दरबार में नूर जहाँ द्वारा बंधक बना कर रखा गया। २६ फ़रवरी १६२८ को जब [[शाह जहाँ|शाहजहाँ]] को [[मुग़ल साम्राज्य|मुग़ल सम्राट]] घोषित किया गया तब औरंगज़ेब [[आगरा]] किले में अपने माता पिता के साथ रहने के लिए वापस लौटा। यहीं पर औरंगज़ेब ने [[अरबी]] और [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] की औपचारिक [[शिक्षा]] प्राप्त की।
 
== सत्तासीन ==
== सत्तासन ==
 
[[मुग़ल साम्राज्य|मुग़ल]] प्रथाओं के अनुसार, [[शाह जहाँ|शाहजहाँ]] ने 1634 में शहज़ादा औरंगज़ेब को [[दक्कन का पठार|दक्कन]] का सूबेदार नियुक्त किया। औरंगज़ेब किरकी ([[महाराष्ट्र]]) को गया जिसका नाम बदलकर उसने [[औरंगाबाद]] कर दिया। 1637 में उसने रबिया दुर्रानी से शादी की। इधर [[शाह जहाँ|शाहजहाँ]] [[मुग़ल साम्राज्य|मुग़ल]] दरबार का कामकाज अपने बेटे [[दारा शिकोह]] को सौंपने लगा। 1644 में औरंगज़ेब की बहन एक दुर्घटना में जलकर मर गई। औरंगज़ेब इस घटना के तीन हफ्ते बाद [[आगरा]] आया जिससे उसके पिता [[शाह जहाँ|शाहजहाँ]] को उसपर बेहद क्रोध आया। उसने औरंगज़ेब को दक्कन के सूबेदार के ओहदे से बर्ख़ास्त कर दिया। औरंगज़ेब 7 महीनों तक दरबार नहीं आ सका। बाद में [[शाह जहाँ|शाहजहाँ]] ने उसे [[गुजरात]] का सूबेदार बनाया। औरंगज़ेब ने सुचारू रूप से शासन किया और उसे इसका सिला भी मिला, उसे [[बदख़्शान]] (उत्तरी [[अफ़ग़ानिस्तान|अफ़गानिस्तान]]) और [[बाल्ख़]] (अफ़गान-उज़्बेक) क्षेत्र का सूबेदार बना दिया गया।