"इंदिरा गांधी की हत्या": अवतरणों में अंतर

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[[File:IndiraGandhi-SareeAtTimeOfDeath.JPG|200px|thumb|इंदिरा गाँधी मेमोरियल, [[नयी दिल्ली]] में रखे, इंदिरा गाँधी की खून से सने कपड़े]]
 
उनके दो सिख अंगरक्षक, सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने 31 अक्टूबर 1984 को [[नई दिल्ली]] के सफदरजंग रोड स्थित उनके आवास पर सुबह 9:29 बजे गोली मार कर उनकी हत्या की थी,<ref name=cnn>{{cite web |title=25 years after Indira Gandhi's assassination |url=http://ibnlive.in.com/news/india-and-indira-25-years-after-a-pms-assassination/104183-37.html |date=30 October 2009 |publisher=[[CNN-IBN]] |access-date=5 September 2011 |archive-url=https://web.archive.org/web/20111104180327/http://ibnlive.in.com/news/india-and-indira-25-years-after-a-pms-assassination/104183-37.html |archive-date=4 November 2011 |url-status=live |df=dmy-all }}</ref> उसमे से एक, बेअंत सिंह के वहीँ पर सुरक्षा कर्मियों द्वारा मार गिराया गया था, जबकि सतवंत सिंह, जोकि उस समय 22 वर्ष के थे, को गिरावतरगिरफ़्तार करना कर लिया गया था।<ref name=smith>{{cite news |last=Smith |first=William E. |title=Indira Gandhi's assassination sparks a fearful round of sectarian violence |url=http://www.sikhtimes.com/bios_111284a.html |accessdate=19 January 2013 |newspaper=Time |date=12 November 1984 |archive-url=https://web.archive.org/web/20121103043002/http://www.sikhtimes.com/bios_111284a.html |archive-date=3 November 2012 |url-status=live |df=dmy-all }}</ref> वो ब्रिटिश अभिनेता पीटर उस्तीनोव को आयरिश टेलीविजन के लिए एक वृत्तचित्र फिल्माने के दौरान साक्षात्कार देने के लिए सतवंत और बेअन्त द्वारा प्रहरारत एक छोटा गेट पार करते हुए आगे बढ़ी थीं। इस घटना के तत्काल बाद, उपलब्ध सूचना के अनुसार, बेअंत सिंह ने अपने बगलवाले शस्त्र का उपयोग कर उनपर तीन बार गोली चलाई और सतवंत सिंह एक स्टेन कारबाईन का उपयोग कर उनपर बाईस चक्कर गोली दागे।
 
गांधी को उनके सरकारी कार में अस्पताल पहुंचाते पहुँचाते रास्ते में ही दम तोड़ दीं थी, लेकिन घंटों तक उनकी मृत्यु घोषित नहीं की गई। उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में लाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उनका ऑपरेशन किया। उस वक्त के सरकारी हिसाब 29 प्रवेश और निकास घावों को दर्शाती है, तथा कुछ बयाने 31 बुलेटों के उनके शरीर से निकाला जाना बताती है। उन्हें [[अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान]], नई दिल्ली ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उनका ऑपरेशन किया। उसे 2:20 बजे मृत घोषित कर दिया गया। उसके शव को 1 नवंबर की सुबह दिल्ली के रास्तों से होते हुए [[तीन मूर्ति भवन]] ले जाया गया जहां उनके शव को सम्मान और जनता के दर्शन के लिए रखा गया। 3 नवंबर को राज घाट के पास उनका अंतिम संस्कार किया गया और इस स्थान का नाम शक्तिस्थल रखा गया। उनके बड़े बेटे और उत्तराधिकारी [[राजीव गांधी]] ने चिता को अग्नि दी थी।<ref name=cnn/>