"वसीम रिजवी": अवतरणों में अंतर

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जब उनके सामाजिक संबंध अच्छे होने लगे तो उन्होंने नगर निगम का चुनाव लड़ने का फैसला किया। यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरूआत हुई। इसके बाद वो वक्फ बोर्ड के सदस्य बने और उसके बाद चेयरमैन के पद तक पहुंचे। वो पिछले दस सालों से बोर्ड में है और लगातार बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं, उन्होंने अपनी राजनीति चमकाने के लिए मुस्लिम विरोध का सहारा लिया है तथा भारत के मौजुदा हालात मे हिंदु मुस्लिम दुरी बढाने मे वसीम रिजवी का बडा योगदान है।<ref>{{cite web|url=https://www.amarujala.com/amp/delhi-ncr/who-is-waseem-rizvi-know-about-uttar-pradesh-shia-waqf-chief-waseem-rizvi|title=कौन हैं वसीम रिजवी, जिन्होंने बार-बार की अयोध्या में राम मंदिर बनाने की वकालत|publisher=[[अमर उजाला]]|access-date=9 जनवरी 2019|archive-url=https://web.archive.org/web/20190110015325/https://www.amarujala.com/amp/delhi-ncr/who-is-waseem-rizvi-know-about-uttar-pradesh-shia-waqf-chief-waseem-rizvi|archive-date=10 जनवरी 2019|url-status=live}}</ref>
 
==राजनीतिक कैरियर==
रिज़वी एक क्लास II रेलवे कर्मचारी का बेटा है। वे 2000 में लखनऊ में ओल्ड सिटी के कश्मीरी मोहल्ला वार्ड से समाजवादी पार्टी (सपा) के नगरसेवक चुने गए और 2008 में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य बने। 2012 में, शिया धर्मगुरु कल्बे जवाद के साथ गिरने के बाद, रिजवी को छह साल के लिए सपा से निष्कासित कर दिया गया था, जिसने उन पर धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।<ref>{{cite web|url=https://indianexpress.com/article/explained/who-is-wasim-rizvi-7231868/|title=Who is Wasim Rizvi}}</ref> रिजवी को बाद में अदालत से राहत मिली।
 
== विवादों में ==