"गायत्री मन्त्र": अवतरणों में अंतर
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: '''तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।''' (ऋग्वेद ३,६२,१०)
==गायत्री महामंत्र इस प्रकार है : ==
[[चित्र:Gayatri1.jpg|right|200px|thumb|गायत्री मन्त्र का [[देवी]] के रूप में चित्रण]]
: ''ॐ भूर् भुवः स्वः।
: ''तत् सवितुर्वरेण्यं।
: ''भर्गो देवस्य धीमहि।
: ''धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
:-- ( विश्वामित्र )
;हिन्दी में भावार्थ :
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