"गायत्री मन्त्र": अवतरणों में अंतर

Ckp
टैग: Reverted यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो 2401:4900:3B0D:B59F:BEAF:BAF3:C7C7:F152 (Talk) के संपादनों को हटाकर Pawan Paagal Artist And Poet के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 24:
: '''तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।''' (ऋग्वेद ३,६२,१०)
 
==गायत्री महामंत्र इस प्रकार है : ==
[[चित्र:Gayatri1.jpg|right|200px|thumb|गायत्री मन्त्र का [[देवी]] के रूप में चित्रण]]
: ''ॐ भूर् भुवः स्वः।
: ''तत् सवितुर्वरेण्यं।
: ''भर्गो देवस्य धीमहि।
: ''धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
:-- ( विश्वामित्र )
 
;हिन्दी में भावार्थ :
Line 44 ⟶ 43:
गायत्री मंत्र में चौबीस अक्षर होते हैं, यह 24 अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक हैं।
 
इसी कारण ऋषियों ने गायत्री मंत्र को सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला बताया है।
 
( ''छोटू'' कुमार pandi )
 
== परिचय ==