"गायत्री मन्त्र": अवतरणों में अंतर
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: '''तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।''' (ऋग्वेद ३,६२,१०)
==गायत्री महामंत्र
[[चित्र:Gayatri1.jpg|right|200px|thumb|गायत्री मन्त्र का [[देवी]] के रूप में चित्रण]]
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;हिन्दी में भावार्थ :
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गायत्री मंत्र में चौबीस अक्षर होते हैं, यह 24 अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक हैं।
इसी कारण ऋषियों ने गायत्री मंत्र को सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला बताया है।
== परिचय ==
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