"बदायूँ": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
→प्राचीन इमारतों: रहे थे टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
→इतिहास व स्थापना: व्याकरण में सुधार टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit |
||
पंक्ति 31:
== इतिहास व स्थापना ==
11वीं शती के एक अभिलेख में, जो बदायूँ से प्राप्त हुआ है, इस नगर का तत्कालीन नाम वोदामयूता कहा गया है। इस लेख से ज्ञात होता है कि उस समय बदायूँ में पांचाल देश की राजधानी थी। बर्तमान में
यह जान पड़ता है कि अहिच्छत्रा नगरी, जो अति प्राचीन काल से उत्तर पांचाल की राजधानी चली आई थी, इस समय तक अपना पूर्व गौरव गँवा बैठी थी। एक किंवदन्ती में यह भी कहा गया है कि, इस नगर को [[अहीर]] सरदार राजा बुद्ध ने 10वीं शती में बसाया था।<ref>[https://budaun.nic.in/hi/%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%b2%e0%a5%87-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%9a%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0/ District Budaun Government of Uttar Pradesh]</ref> 13 वीं शताब्दी में यह दिल्ली के मुस्लिम राज्य की एक महत्त्वपूर्ण सीमावर्ती चौकी था और 1657 में बरेली द्वारा इसका स्थान लिए जाने तक प्रांतीय सूबेदार यहीं रहता था। 1838 में यह ज़िला मुख्यालय बना। कुछ लोगों का यह मत है कि बदायूँ की नींव अजयपाल ने 1175 ई. में डाली थी। राजा लखनपाल को भी नगर के बसाने का श्रेय दिया जाता है।
गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए राजा भगीरथ ने
अध्यात्मिक दृष्टि से सूकरखेत (बाराह क्षेत्र) का वैसे भी बहुत महत्व है।
नीलकंठ महादेव का प्रसिद्ध मन्दिर, शायद लखनपाल का बनवाया हुआ था। ताजुलमासिर के लेखक ने बदायूँ पर कुतुबुद्दीन ऐबक के आक्रमण का वर्णन करते हुए इस नगर को हिन्द के प्रमुख नगरों में माना है। बदायूँ के स्मारकों में जामा मस्जिद भारत की मध्य युगीन इमारतों में शायद सबसे विशाल है इसका निर्माता इल्तुतमिश था, जिसने इसे गद्दी पर बैठने के बारह वर्ष पश्चात अर्थात 1222 ई. में बनवाया था।
|