"चौरी चौरा कांड": अवतरणों में अंतर

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इस घटना के तुरन्त बाद गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन को समाप्त करने की घोषणा कर दी। बहुत से लोगों को गांधीजी का यह निर्णय उचित नहीं लगा।विशेषकर क्रांतिकारियों ने इसका प्रत्यक्ष या परोक्ष विरोध किया। की [[गया|गया कांग्रेस]] में [[प्रेमकृष्ण खन्ना]] व उनके साथियों ने [[राम प्रसाद 'बिस्मिल'|रामप्रसाद बिस्मिल]] के साथ कन्धे से कन्धा भिड़ाकर गांधीजी का विरोध किया।
 
चौरी-चौरा कांड के अभियुक्तों का मुकदमा पंडित [[मदन मोहन मालवीय]] ने लड़ा और अधिकांश को बचा ले जाना उनकी एक बड़ी सफलता थी।<ref name="'Mann'">{{cite book|author=Manju 'Mann'|title=Mahamana Pt Madan Mohan Malviya|url=http://books.google.com/books?id=NmVqCwAAQBAJ&pg=PA124|isbn=978-93-5186-013-6|pages=124–}}</ref> इनमें से 151 लोग फांसी की सजा से बच गये। बाकी 19 लोगों को 2 से 11 जुलाई, 1923 के दौरान फांसी दे दी गई। इस घटना में 14 लोगों को उम्र कैद और 1019 लोगों को आठ साल सश्रम कारावास की सजा हुई।
 
==स्मारक==