"मेघनाद साहा": अवतरणों में अंतर
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आशीष भटनागर (वार्ता | योगदान) |
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उन्होंने देश की आजादी में भी योगदान दिया था। अंग्रेज सरकार ने वर्ष [[१९०५]] में बंगाल के आंदोलन को तोड़ने के लिए जब इस राज्य का विभाजन कर दिया तो समूचे मेघनाद भी इससे अछूते नहीं रहे। उस समय पूर्वी बंगाल के गर्वनर सर बामफिल्डे फुल्लर थे। अशांति के इस दौर में जब फुल्लर मेघनाद के ढाका कालिजियट स्कूल में मुआयने के लिए आए तो मेघनाद ने अपने साथियों के साथ फुल्लर का बहिष्कार किया। नतीजतन मेघनाद को स्कूल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। प्रेसीडेंसी कालेज में पढ़ते हुए ही मेघनाद क्रांतिकारियों के संपर्क में आए। उस समय आजादी के दीवाने नौजवानों के लिए अनुशीलन समिति से जुड़ना देश सेवा का पहला पाठ माना जाता था। मेघनाद भी इस समिति से जुड़ गए। बाद में मेघनाद का संपर्क नेताजी [[सुभाष चंद्र बोस]] और देश के पहले राष्ट्रपति [[राजेंद्र प्रसाद]] से भी रहा। <ref>{{cite web |url= http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_5240355.html|title=आजादी के परवाने थे खगोलशास्त्री मेघनाद|accessmonthday=[[२१ अप्रैल]]|accessyear=[[२००९]]|format=एचटीएमएल|publisher=जागरण|language=}}</ref>
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== संदर्भ ==
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== बाह्यसूत्र ==
* [http://www.vigyanprasar.gov.in/scientists/saha/sahanew.htm विज्ञान प्रसार पर मेघनाद साहा (अँग्रेज़ी में)]
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