"सुभद्रा": अवतरणों में अंतर

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वसुदेव व देवकी की आठवीं संतान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होते ही वसुदेव उन्हें रात्रि के समय गोकुल में अपने भाई तथा मित्र नंद को सौंप आये थे व बदले मेंं नंद की नवजात पुत्री को ले आये थे ताकि कंस को यह भ्रम हो सके कि उनकी आंठवी संतान एक कन्या है , बाद में कंस द्वारा कन्या के वध का प्रयास करने पर कन्या योगमाया के रूप में प्रकट होकर अंतर्ध्यान हो गयी व बाद में सुभद्रा के नाम से जानी गयी ।
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{{आधार}}अर्जुन ने सुभद्रा के साथ विवाह करने की अपने मनशा जाहिर की तब स्वयं माधव भी बहुत प्रसन्न हो गए। श्री कृष्णा को पता था के सुभद्रा के लिए अर्जुन से अधिक और कोई योग्य पात्र हो ही नहीं सकता। इसीलिए उन्होंने अर्जुन को अपने क्षत्रिय धर्म का पालन करते हुए सुभद्रा का अपहरण करने की हिदायत दी।और इसके साथ ही वो सुभद्रा का अपहण करनेवाले हे इस बात की जानकारी युधिष्ठिर जो पाण्डवों के पड़े भाई थे उनको देने के लिए कहा। अर्जुन ने ठीक बिलकुल ऐसा ही किया।
 
अपने भगवान श्री कृष्णा की बात मानकर अर्जुनने सुभद्रा का अपहरण किया लेकिन अपहरण करने के बाद उनका सामना यादवसेना के साथ हुआ जहाँ पे उन्होंने यादवसेना को हराया। इस युद्ध में स्वयं उनकी पत्नी सुभद्राजी उनकी सारथि बनी थी। इस घटना के बाद श्री कृष्णा और बलराम ने विधिपूर्वक दोनों का विवाह करवाया और इस तरह से अर्जुन और सुभद्रा का एक सम्बन्ध प्रस्थापित हो गया। दोनों को उनके वैवाहिक जीवन के दौरान एक पुत्र को भी जन्म दिया जिसको हम सब अभिमन्यु के नाम से जानते हे।[http://indianapex.in/%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%ad%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%ad%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a4%be/]
[[श्रेणी:महाभारत के पात्र]]