"राधाचरण गोस्वामी": अवतरणों में अंतर
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==साहित्य सेवा==
गोस्वामी राधाचरण के साहित्यिक जीवन का उल्लेखनीय आरम्भ 1877 ई. में हुआ। इस वर्ष उनकी पुस्तक ‘शिक्षामृत’ का प्रकाशन हुआ। यह उनकी प्रथम पुस्तकाकार रचना है। तत्पश्चात् मौलिक और अनूदित सब मिलाकर पचहत्तर पुस्तकों की रचना उन्होंने की। इनके अतिरिक्त उनकी प्रायः तीन सौ से ज्यादा विभिन्न कोटियों की रचनाएँ तत्कालीन पत्र-पत्रिकाओं में फैली हुई हैं जिनका संकलन अब तक नहीं किया जा सका।
उनकी साहित्यिक उपलब्धियों की अनेक दिशाएँ हैं। वे कवि थे किन्तु हिन्दी गद्य की विभिन्न विधाओं की श्रीवृद्धि भी उन्होंने की। उन्होंने राधाकृष्ण की लीलाओं, प्रकृति-सौन्दर्य और ब्रज संस्कृति के विभिन्न पक्षों पर काव्य-रचना की। कविता में उनका उपनाम ‘मंजु’ था।
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