"राधाचरण गोस्वामी": अवतरणों में अंतर
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==जीवन परिचय==
गोस्वामी जी के पिता गल्लू जी महाराज अर्थात् गुणमंजरी दास जी (1827 ई.-1890 ई.) एक भक्त कवि थे। उनमें किसी प्रकार की धार्मिक कट्टरता और रूढ़िवादिता नहीं थी, प्रगतिशीलता और सामाजिक क्रान्ति की प्रज्ज्वलित चिनगारियाँ थीं। उनमें राष्ट्रवादी राजनीति की प्रखर चेतना थी।
भारतवर्ष की तत्कालीन राजनीतिक और राष्ट्रीय चेतना की नब्ज पर उनकी उँगली थी और नवजागरण की मुख्यधारा में राधाचरण गोस्वामी जी सक्रिय एवं प्रमुख भूमिका थी। उन्होने 1883 ई. में पश्चिमोत्तर और [[अवध]] में आत्मशासन की माँग की थी। मासिक पत्र ‘भारतेन्दु’ (वैशाख शुक्ल 15 विक्रम संवत् 1940 तदनुसार 22 मई 1883 ई.) में उन्होंने ‘पश्चिमोत्तर और अवध में आत्मशासन’ शीर्षक से सम्पादकीय अग्रलेख लिखा था। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में [[वाराणसी|बनारस]], [[इलाहाबाद]], [[पटना]], [[कोलकाता|कलकत्ता]] और [[वृन्दावन]] नवजागरण के पाँच प्रमुख केन्द्र थे। वृन्दावन केन्द्र के एकमात्र सार्वकालिक प्रतिनिधि राधाचरण गोस्वामी ही थे।
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