"वेद राही": अवतरणों में अंतर

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'''वेद राही''' (जन्म १९३३) [[हिन्दी]] और [[डोगरी भाषा|डोगरी]] के साहित्यकार तथा फिल्म [[निर्देशक]] हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी [[विनायक दामोदर सावरकर]] के जीवन पर आधारित फिल्म [[वीर-सावरकर]] बनाई। वेद राही ने [[दूरदर्शन]] धारावाहिक [[गुल गुलशन गुलफाम]] का भी निर्देशन किया।
 
वेद राही का जन्म 22 मई 1933 को जम्मू कश्मीर में हुआ था। इनके पिता का नाम लाला मुल्कराज सराफ था जो जम्मू से “रणबीर” नाम का समाचार-पत्र निकलते थे। राही जी को बचपन से ही लिखने का शौक था। उन्होंने पहले उर्दू में लिखना आरम्भ किया और फिर हिंदी और डोगरी भाषा में भी लिखने लगे। उनकी अब तक की कुछ मशहूर कहानियां है - काले हत्थे (1958), आले (1982), क्रॉस फायरिंग। उनके प्रमुख उपन्यासों में हाड़ बेडी पत्तन (1960) , परेड (1982), टूटीत्रुट्टी हुईदी डोर (1980) , गर्म जूनगर्भजून आदि।
 
वेद राही ने फिल्मी संसार में कदम [[रामानन्द सागर|रामानंद सागर]] के कारण रखा जिनके साथ जुड़ रहकर उन्होंने लगभग 25 हिंदी फिल्मों के लिए कहानिया, डायलॉग और स्क्रीन राइटिंग की। इन्होने कई फिल्में की जैसे वीर सावरकर (1982), बेज़ुबान (1976), चरस (1975), संन्यासी (1972), बे-ईमान (1972), मोम की गुड़िया (1971), आप आये बहार आई (1971 ), पराया धन (1970 ), पवित्र पापी (1966 ), 'यह रात फिर न आएगी' आदि। इसके अलावा उन्होंने 9 फिल्मे और सीरियल का निर्देशन किया एहसास (टीवी सीरीज ) (1994 ), रिश्ते (टीवी सीरीज) (1987 ), ज़िन्दगी (टीवी सीरीज)(1987), गुल गुलशन गुलफाम (टीवी सीरीज) (1984), नादानियाँ (1980), काली घटा (1973), प्रेम पर्वत (1972), दरार आदि। इसके अलावा इन्होने काली घटा नामक फिल्म निर्मित भी की।